High Court: नियुक्ति में धांधली के मामले में कपिलमुनि की याचिका पर सुनवाई तीन मार्च को
आरोप है कि करवरिया उस समय जिला पंचायत अध्यक्ष थे। इनकी अध्यक्षता में चयन समिति गठित हुई। जिसमें पंचायत सदस्य मधुपति सुशीला देवी श्रीपाल चयन समिति के सदस्य थे। इन लोगों की मिलीभगत से नियुक्तियां की गई। चार पदों के विरुद्ध 8 लोगों की नियुक्ति की गई।

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए नियुक्तियों में षड्यंत्र व भ्रष्टाचार के आरोप में दर्ज आपराधिक मामले में पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का तीन हफ्ते का समय दिया है। राज्य सरकार की तरफ से जवाबी हलफनामा दाखिल किया जा चुका है। अब इस याचिका की सुनवाई 3 मार्च को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सुरेश चंद्र द्विवेदी ने बहस की।
याचिका में करविरया ने खुद को बताया है बेकसूर
याचिका में करविरया द्वारा खुद को बेकसूर बताते हुए पुलिस चार्जशीट व केस कार्यवाही को रद्द किए जाने की मांग की गई है। उल्लेखनीय है कि 2019 में जिला पंचायत में नियुक्तियों में धांधली की शिकायत की जांच कराई गई। षड्यंत्र व भ्रष्टाचार को लेकर दाखिल रिपोर्ट पर विशेष सचिव उप्र ने एसपी कौशांबी को एफआइआर दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया। इस पर मंझनपुर थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने वर्ष 2004-05 और 2009 में लिपिक भर्ती में षड्यंत्र व अनियमितता के आरोप में चार्जशीट दाखिल की।
अपने चहेतों को रख लिया गया था नौकरी पर
आरोप है कि करवरिया उस समय जिला पंचायत अध्यक्ष थे। इनकी अध्यक्षता में चयन समिति गठित हुई। जिसमें पंचायत सदस्य मधुपति, सुशीला देवी, श्रीपाल चयन समिति के सदस्य थे। इन लोगों की मिलीभगत से नियुक्तियां की गई। चार पदों के विरुद्ध 8 लोगों की नियुक्ति की गई। अपने चहेतों को नौकरी पर रख लिया गया। नियुक्ति की सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई।
याची अधिवक्ता का कहना है कि नया जिला बना था । स्टाफ की जरूरत थी। नियमानुसार चयन समिति ने चयन किया और नियुक्ति की गई।आरोप निराधार है। याचिका की अगली सुनवाई 03 मार्च को होगी।

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