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    प्रयागराज में Atala Violence के मास्टरमाइंड Javed ने Allahabad High Court में रासुका को चुनौती दी

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Sun, 16 Oct 2022 09:12 AM (IST)

    10 जून प्रयागराज के अटाला मोहल्ले में हिंसा भड़की थी। इसमें नमाज के बाद उपद्रव हुआ था। पुलिस-पीएसी के जवानों पर पत्थरबाजी हुई थी। पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी गई। जावेद को हिंसा का मास्टरमाइंड बताते हुए गिरफ्तार कर रासुका के तहत कार्रवाई की गई है।

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    अटाला हिंसा के मास्टरमाइंड जावेद की रासुका को चुनौती देने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा।

    प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज के अटाला मोहल्ले में हुई हिंसा के मास्टरमाइंड जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप की रासुका के खिलाफ याचिका पर केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी व न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने जावेद मोहम्मद की याचिका पर पारित किया है।

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    देवरिया जेल में बंद है अटाला हिंसा का आरोपित मास्‍टरमाइंड जावेद : याची मौजूदा समय में देवरिया जेल में बंद है। मामले के अनुसार में भाजपा नेता रहीं नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए विवादित बयान के बाद 10 जून प्रयागराज के अटाला मोहल्ले में हिंसा भड़की थी। इसमें नमाज के बाद खूब उपद्रव किया गया। पुलिस-पीएसी के जवानों को निशाना बनाकर पत्थरबाजी की गई थी। पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी गई। याची को हिंसा का मास्टरमाइंड बताते हुए गिरफ्तार किया गया है। इसके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई है।

    मुख्य सेविका की भर्ती के मामले में जवाब-तलब : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्य सेविकाओं की भर्ती मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने कहा कि संयुक्त सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार के स्तर के अधिकारी का जवाबी हलफनामा दाखिल किया जाए। कोर्ट ने कहा है कि पहले से कार्यरत मुख्य सेविकाओं के नियमित करने से कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा। इसकी भी जानकारी देनी होगी। क्योंकि, निदेशक ने 2018 में शासन को भेजे प्रस्ताव में यह कहा है कि नियमितिकरण करने से कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि तय की है। यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने अनीता सिंह व 75 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

    क्‍या था याचियों का तर्क : याचियों का तर्क था कि वे 2003 से ही बतौर मुख्य सेविका काम कर रही हैं। 2018 में नियमितीकरण के लिए उन्होंने निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार के समक्ष प्रत्यावेदन किया था। निदेशक ने उसे शासन के समक्ष भेज दिया था लेकिन शासन ने इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। शासन ने मुख्य सेविकाओं के 2693 पदों पर नई भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला है। उसमें 126 पदों पर बतौर मुख्य सविका काम कर रहीं याचियों के पद भी शामिल हैं। अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि याचियों की नियमितीकरण की मांग खारिज कर दी गई है। क्योंकि, वे नियमितिकरण नियमावली 2016 के मानदंडों को पूरा नहीं कर रहीं हैं। इस संबंध में याचियों को सूचित भी कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि याचियों की ओर से भर्ती प्रक्रिया को चुनौती नहीं दी गई है। केवल अपने नियमितीकरण की मांग की गई है।