इलाहाबाद हाई कोर्ट से UPSIDC को बड़ी राहत, सिविल कोर्ट के मुआवजा जमा करने के आदेश पर रोक
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम को बड़ी राहत दी है। भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 28-ए के तहत सिविल कोर्ट के किसानों को अधिक मुआवजा देने के आदेश के क्रियांवयन पर रोक लगा दी है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआइडीसी) को बड़ी राहत दी है। भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 28-ए के तहत सिविल कोर्ट के किसानों को अधिक मुआवजा देने के आदेश के क्रियांवयन पर रोक लगा दी है। किसानों को नोटिस जारी करते हुए राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी व न्यायमूर्ति आरआर अग्रवाल की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम गाजियाबाद की याचिका पर दिया है। याची निगम का कहना है कि भूमि अधिग्रहण कानून की धारा-18 के तहत संदर्भित किये बगैर सिविल कोर्ट ने धारा 28-ए की किसानों की अर्जी स्वीकार कर ली। बिना याची को सुने आदेश जारी किया गया है।
याची का यह भी कहना है कि निगम के लिए 1962 में जमीन अधिग्रहीत की गयी थी। धारा-28 में 1984 में संशोधन किया गया है। इस संशोधित कानून को वर्षों पहले किये गये अधिग्रहण पर लागू नहीं किया जा सकता है। सिविल कोर्ट ने धारा 28-ए की अर्जी की पोषणीयता पर विचार किये बगैर आदेश जारी किया है, जो विधि सम्मत नहीं है। हाई कोर्ट ने इसे विचारणीय माना और सिविल कोर्ट के 15 जुलाई 2017 को पारित आदेश पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इससे पहले भी 2017 में जिलाधिकारी गाजियाबाद ने निगम के प्रबंध निदेशक को किसानों की धारा 28-ए की अर्जी पर मुआवजा जमा करने का निर्देश दिया था। उस आदेश पर भी कोर्ट ने रोक लगा रखी है, जिसके तहत जिलाधिकारी ने प्रबंध निदेशक को 30 करोड़ 94 लाख 86 हजार 808 रुपये तथा एक अरब 14 करोड़ 71 लाख 55 हजार 108 रुपये जमा करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए पेश करने का निर्देश दिया है।
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