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    Akshay Navmi 2022: आंवला नवमी भी कहलाता है अक्षय नवमी, ऐसा बना योग की बेहद है पुण्यकारी

    अक्षय नवमी पर्व पर चतुर्ग्रहीय योग का संयोग बन रहा है। अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए सनातन धर्मावलंबी आंवला के वृक्ष का पूजन करेंगे। रोग व शोक से मुक्ति की कामना की जाएगी। साथ ही आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन पका कर परिवार के साथ उसका सेवन करेंगे।

    By Sharad DwivediEdited By: Ankur TripathiUpdated: Tue, 01 Nov 2022 08:01 PM (IST)
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    अक्षय नवमी पर आज आंवला के वृक्ष की पूजा करके उसके नीचे होगा भोजन

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कार्तिक शुक्लपक्ष की नवमी तिथि पर मनाए जाने वाले अक्षय नवमी पर्व पर बुधवार को चतुर्ग्रहीय योग का संयोग बन रहा है। अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए सनातन धर्मावलंबी आंवला के वृक्ष का पूजन करेंगे। पूजन करके रोग व शोक से मुक्ति की कामना की जाएगी। साथ ही आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन पका कर परिवार के साथ उसका सेवन करेंगे। ऐसा करने वालों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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    ऐसा बन रहा योग जो है बेहद पुण्यकारी

    ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार मंगलवार की रात 1.08 बजे से नवमी तिथि लगकर बुधवार की रात 10.53 बजे तक रहेगी। तुला राशि में सूर्य, बुध, शुक्र व केतु ग्रह का संचरण होगा, जो अत्यंत पुण्यकारी है। बताया कि अक्षय नवमी का महत्व अक्षय तृतीय के समान होता है। आंवला का वृक्ष निरोगता व समृद्धि प्रदान करता है।

    जड़ पर चढ़ाएं दूध, तना पर लपेटें कच्चा सूत

    पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि अक्षय नवमी तिथि पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी आंवला के वृक्ष में वास करते हैं। जो आंवला के वृक्ष का पूजन करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आंवला के पेड़ के जड़ में दूध चढ़ाना चाहिए। तना में कच्चा सूत लपेटकर 21, 51 अथवा 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए।

    कद्दू का दान करने से समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं। जो आंवला के वृक्ष के नीचे भोजन करते हैं उनकी काया निरोगी रहती है। मंगलवार की सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर अपने दाहिने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें। संकल्प के बाद आंवले के पेड़ के नीचे पूरब दिशा की ओर मुंह करके बैठें।

    इसके बाद 'ऊं धात्र्यै नम:Ó मंत्र का जप करते हुए आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध की धारा गिराते हुए पितरों का तर्पण करें। पितरों का तर्पण करने के बाद आंवले के पेड़ के तने में सूत्र बांधें। इसके बाद वहीं भोजन पकाकर उसे ग्रहण करें।