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    अकबर के नवरत्न राजा टोडरमल ने Prayagraj के दारागंज में बनवाया था अपना किला,आज ढहने के कगार पर है यह किला

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Wed, 17 Feb 2021 09:00 AM (IST)

    इतिहासकार विमलचंद्र शुक्ला बताते हैं कि टोडरमंल ने मोतीमहल की नींव सन् 1585 में डाली थी और पांच साल में 1590 में किला बनकर तैयार हुआ था। तकरीबन 40 हजार वर्ग फिट में बने किले में दीवाने खास और दीवाने आम भी बनाए गए थे।

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    मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक टोडरमल ने प्रयागराज में अपने लिए एक किला भी बनवाया था

    प्रयागराज, जेएनएन। मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक टोडरमल ने प्रयागराज में अपने लिए एक किला भी बनवाया था जो आज भी दारागंज मुहल्ले में गंगा नदी के किनारे स्थित है। हालांकि मोती महल नाम के इस किले का अधिकांश भाग वर्तमान में जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। किले के एक हिस्से में खुद को टोडरमल का वंशज बताने वाला एक परिवार रहता है, शेष पर किरायेदारों का कब्जा है। गंगा की तरफ वाले हिस्से में श्रीगणेश जी का मंदिर भी बना हुआ है। इस ऐतिहासिक थाती को मरम्मत की दरकार है लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। न तो इसमें रहने वाले और न सरकार।

    अकबर के किले के निर्माण के दौरान बनवाया था मोतीमहल
    इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में संगम तट पर मुगल सम्राट अकबर के किले के निर्माण के दौरान टोडरमल ने मोती महल का निर्माण कराया था। टोडरमल की देखरेख में ही अकबर के किले का निर्माण हुआ था। उस दौरान मोतीमहल उनका कैंप हुआ करता था। 1857 के गदर के समय क्रांतिकारी इस किले में छिपे थे जिनको मारने के लिए कर्नल नील ने इस किले पर हमला किया था। तोप के गोले दागे गए थे जिससे तमाम क्रांतिकारी तो मारे ही गए किले के छह फाटकों में से पांच क्षतिग्रस्त हो गए।

    मोती महल की नींव 1585 में पड़ी थी, पांच साल में हुआ तैयार
    इतिहासकार विमलचंद्र शुक्ला बताते हैं कि टोडरमंल ने मोतीमहल की नींव सन् 1585 में डाली थी और पांच साल में 1590 में किला बनकर तैयार हुआ था। तकरीबन 40 हजार वर्ग फिट में बने किले में दीवाने खास और दीवाने आम के अलावा सैनिकों के रहने के लिए कक्ष व घोड़ों के लिए अस्तबल भी बनाए गए थे। नक्काशीदार पायों वाला आलीशान दरबार हाल भी बना था। उत्तर -पश्चिम कोने पर द्वितीय तल में दीवानखाना और पश्चिनी कोने पर राजा टोडरमल का कक्ष आज भी देखा जा सकता है किंतु रखरखाव न होने से किले की दशा बिगड़ गई है।

    15वीं शताब्दी में प्रतिष्ठानपुरी के राजा थे टोडरमल
    इतिहासकार विमलचंद्र शुक्ल बताते हैं कि टोडरमल 15वीं शताब्दी उत्तरार्ध में झूंसी स्थित प्रतिष्ठानपुरी के राजा थे। शेरशाह सूरी ने टोडरमल को पहली बार अपना राजस्व मंत्री नियुक्त किया था। उनके अनुसार 1560 में बैरम खां से परेशान होकर मुगल बादशाह अकबर ने इलाहाबाद में जब पड़ाव डाला था तब टोडरमल से काफी प्रभावित हुआ और अपने साथ ले गया। टोडरमल को अकबर ने राजस्व मंत्री और आंतरिक सुरक्षा मंत्री की जिम्मेदारी दी थी। वह टोडरमल ही थे जिन्होंने मुगल शासन काल में पहली बार जमीन की नाप की इकाई गज का आविष्कार किया था।

    देखरेख के अभाव में जीर्ण-शीर्ण हो चुकी है ऐतिहासिक इमारत
    किले के एक हिस्से में रहने वाले टोडरमल के वंशज अरूण अग्रवाल के मुताबिक मोती महल में टोडरमल का सचिवालय चलता था। प्रथम खंड पर शस्त्रागार और मंत्री, सिपहसालार रहते थे। इन तीनों खंडों को तोप से उड़ाकर ब्रिटिश सेना ने लूट लिया था। उसके बाद से नीचे के तीन खंड बंद रहते हैं। अरुण कुमार के पुत्र सुधांशु अग्रवाल बताते हैं कि नीचे के हिस्से में उस दौर की कई अनूठी निशानियां दबी पड़ी हैं। संसाधन नहीं है कि नीचे के तलों को खुलवाया जा सके। कई बार पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन से गुहार लगाई गई किंतु ध्यान नहीं दिया गया।

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