Lete Hanuman mandir: अकबर ने लेटे हनुमान जी की शक्ति का आभास होने पर मठ के लिए दी थी जमीन
संगम तट स्थित इस विख्यात मंदिर में हनुमान जी जाग्रत स्वरूप में लेटे हुए हैं। इनके दरबार में सच्चे हृदय से मत्था टेकने वालों को शीघ्र मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। भक्त को शारीरिक मानसिक व आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
प्रयागराज, जेएनएन। तीर्थराज प्रयाग में संगम तट स्थित है लेटे हनुमान जी का अद्भुत मंदिर। इस विख्यात मंदिर में हनुमान जी जाग्रत स्वरूप में लेटे हुए हैं। इनके दरबार में सच्चे हृदय से मत्था टेकने वालों को शीघ्र मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। भक्त को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि देशभर से श्रद्धालु हनुमान जी का दर्शन-पूजन करने व निशान चढ़ाने के लिए मंदिर आते हैं। हनुमान जी की शक्ति का एहसास सिर्फ सनातन धर्मावलंबियों को ही नहीं, मुस्लिम शासकों को भी था।
अकबर बना रहा किला तभी खोदाई पर मिली थी प्रतिमा
हुआ यूं कि यमुना तट पर मुगल राजा अकबर अपना किला बनवा रहा था। जहां हनुमान जी लेटे हुए हैं, उधर किला की दीवार खड़ी होनी थी। खोदाई में हनुमान जी की विशाल प्रतिमा निकली, मजदूर उसे उठाने का प्रयास करने लगे। वो जितना प्रतिमा को उठाते, विशाल प्रतिमा उतना धंसती चली जा रही थी। इसकी जानकारी अकबर को हुई तो उसे हनुमान जी की शक्ति का एहसास हुआ। वो जान गया कि प्रतिमा को किसी कीमत पर हटाया नहीं जा सकता। अगर प्रतिमा को क्षति पहुंचाई गई तो उसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
आखिर अकबर ने छोड़ दी प्रतिमा वाली जगह
चिंतन के बाद अकबर ने प्रतिमा वाले स्थान को छोडऩे का निर्देश दिया। हनुमान जी की पूजा की जिम्मेदारी श्रीनिरंजनी अखाड़ा के श्रीमहंत बाबा बालकेसर को मिली। बाबा बालकेसर को प्रयागराज के विभिन्न क्षेत्रों में सैकड़ों एकड़ जमीन भी दिया। उस जमीन को संरक्षित करने के लिए बाबा बालकेसर ने श्री मठ बाघम्बरी गद्दी की स्थापना किया। तब से बाघम्बरी का महंत ही लेटे हनुमान मंदिर की देखरेख करता आ रहा है। धीरे-धीरे मठ के महंतों ने हरिद्वार, उज्जैन सहित अनेक स्थानों पर संपत्तियां बनाई। मौजूदा समय में लेटे हनुमान जी का मंदिर श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के अंतर्गत संचालित होता है। अभी श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के पीठाधीश्वर श्रीमहंत बलवीर गिरि हैं।
हर साल गंगा मैया कराती हैं स्नान
एक और विशेष बात है इस मंदिर की। वो यह कि हर साल अगस्त महीने में गंगा जी मंदिर में प्रवेश करती हैं और तब हनुमान जी की प्रतिमा गंगा जल से ढक जाती है। मंदिर में गंगा जल भर जाता है। इसे कहा जाता है कि गंगा मैया ने हनुमान जी को स्नान कराया है। यानी हर साल गंगा मैया हनुमान जी को स्नान कराने मंदिर पहुंचती हैं।
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