Agriculture Sector News: किसान देर में पकने वाले धान की रोपाई शीघ्र करें, जानें कृषि वैज्ञानिकों के टिप्स
Agriculture Sector News शुआट्स के कृर्षि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि धान की मध्यम व देर से पकने वाली प्रजातियों की रोपाई माह के प्रथम पखवाड़े में पूरा कर लें। शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की रोपाई जुलाई के दूसरे पखवाड़े तक करने से फसल अच्छी होगी।

प्रयागराज, जेएनएन। बारिश के मौसम में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को बेहतर खेती के टिप्स दिए हैं। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर अमल कर किसान खेतों में अन्न की पैदावार बढ़ा सकते हैं। यहां हम किसानों को
नैनी स्थित सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) के कृषि वैज्ञानिकों की उन्नत खेती संबंधित टिप्स से रूबरू करवा रहे हैं।
शुआट्स के कृर्षि वैज्ञानिकों की किसानों को सलाह
शुआट्स के कृर्षि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि धान की मध्यम व देर से पकने वाली प्रजातियों की रोपाई माह के प्रथम पखवाड़े में पूरा कर लें। बताया कि शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की रोपाई जुलाई के दूसरे पखवाड़े तक की जा सकती है। इससे फसल अच्छी होगी। उत्पादन पर भी अनकूल प्रभाव पड़ेगा।
15 जुलाई के बाद करें बाजरा की बोवाई
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि बाजरा की बोवाई 15 जुलाई के बाद पूरे माह की जा सकती है। बोवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 4-5 किग्रा बीज की आवश्यकता होगी। ज्वार के लिए प्रति हेक्टयर 12-15 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। मक्का संकर प्रताजियों के लिए 18-20 किग्रा व संकुल प्रजातियों के लिए 20-25 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। मक्का की फसल में नाइट्रोजन की 40 किग्रा मात्रा (87 किग्रा यूरिया) बोवाई के 30-35 दिन बाद पौधों के लगभग घुटनों तक की ऊंंचाई के हो जाने पर कतारों के बीच में दें।
प्याज के बीज की 10 जुलाई तक बोवाई करें
मूंगफली की बोवाई माह के प्रथम सप्ताह तक पूरी कर लें। यह समय पूरी तरह से अनकूल है। खरीफ में सूरजमुखी की बोवाई माह के प्रथम पखवाड़े में करें। हरे चारे के लिए लोबिया, ज्वार, बहुकटाई वाली चरी, मक्का, बाजरा व ज्वार की बोवाई करनी चाहिए। खरीफ में प्याज के लिए पौधशाला में बीज की बोवाई 10 जुलाई तक कर दें। प्रति हेक्टेयर रोपाई के लिए बीजदर 12-15 किग्रा होगी।
इन फलों के लगाने का उपयुक्त समय
शुआट्स के कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि आम, अमरूद, लीची, आंवला, कटहल, नींबू, जामुन, बेर, केला, पपीता के नए बाग लगाने का समय है। गुलाब में आवश्यकतानुसार बडिंग तथा जल निकास का प्रबंध करें। मुर्गीपालन को नमी तथा सीलन से बचाएं। पशुओं को बरसात से बचाव के लिए पूरा प्रबंध करें। फर्श तथा बिछावन को सूखा रखें।
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