यूपी विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद प्रयागराज में सपा के 17 प्रकोष्ठ भंग करने की जानिए प्रमुख वजह
विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद पार्टी नेतृत्व ने समीक्षा कराई। करीब दो माह तक इसकी समीक्षा कर सप्ताह भर पहले रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सौंपी गई। इसमें कहा गया कि विधानसभा चुनाव में घोषित कई प्रत्याशियों के साथ पार्टी के कई पदाधिकारी पूरे मनोयोग से नहीं लगे।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। समाजवादी पार्टी के 17 प्रकोष्ठों को ऐसे ही पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने भंग नहीं किया है। इसके पीछे बड़ी वजह है। विधानसभा चुनाव में मिली पराजय की समीक्षा शुरू हुई और जब इसकी रिपोर्ट पार्टी मुखिया को सौंपी गई तो इसमें तमाम खामियों का जिक्र किया गया था। इन्हीं खामियों को देखते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सभी प्रकोष्ठों को शनिवार सुबह भंग का दिया।
मतदाता सूची की खामियाें को दूर कराने में बरती गई थी लापरवाही
विधानसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद पार्टी नेतृत्व ने इसकी समीक्षा कराई। करीब दो माह तक इसकी समीक्षा की गई और सप्ताह भर पहले इसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सौंपी गई। इसमें कहा गया था कि विधानसभा चुनाव में घोषित कई प्रत्याशियों के साथ पार्टी के कई पदाधिकारी पूरे मनोयोग से नहीं लगे। बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत बनाने की दिशा में कोई कार्य नहीं किया। सिर्फ औपचारिकता निभाई गई। मतदाता सूची की खामियों को दूर कराने में भी उस स्तर पर रुचि नहीं ली गई, जिसकी अपेक्षा थी। महिला संगठन की बैठक भी औपचारिकता तक ही सीमित रही। इसके अलावा और भी कई खामियां बताई गईं। यही वजह रही कि कई जगह कम अंतर से पार्टी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा।
सीटें तो बढ़ीं पर नगर में नहीं खुला खाता
वर्ष 2017 की अपेक्षा 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा की सीटें तो बढ़ीं, लेकिन नगर में खाता नहीं खुल पाया। वर्ष 2017 में सपा को मात्र एक सीट करछना मिली थी, लेकिन इस बार चार सीट मेजा, प्रतापपुर, हंडिया और सोरांव मिली। हालांकि, करछना की सीट बचाने में पार्टी विफल साबित हुई थी। नगर की दक्षिणी, पश्चिमी और उत्तरी पर हार का सामना करना पड़ा था। इन तीनों सीट पर प्रत्याशियों की हार काफी अंतर से हुई थी, जबकि ग्रामीण इलाकों की सीट पर हार-जीत का अंतर कम था।
पुराने के साथ नए चेहरे पर लगेगा दांव
17 प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों के नाम की घोषणा कब होगी, यह अभी तय नहीं है, लेकिन 15 जुलाई के भीतर ही इसकी घोषणा की बात सामने आ रही है। इसमें पुराने चेहरे तो नजर आएंगे, जबकि अधिकांश प्रकोष्ठों पर नए चेहरे पर दांव लगाया जाएगा। युवाओं के साथ ही उन कार्यकर्ताओं को भी मौका दिया जाएगा, जो अभी तक किसी पद पर नहीं थे। इसके लिए कई नाम भी शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गए हैं।
रेवती रमण की अनदेखी करने पर कई दे चुके थे इस्तीफा
पार्टी के कद्दावर नेता रेवती रमण सिंह को राज्यसभा के लिए मैदान में न उतारने से पार्टी के काफी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी। इसे लेकर नगर उपाध्यक्ष विजय वैश्य समेत कई ने इस्तीफा तक दे दिया था। वहीं भीतर ही भीतर रेवती रमण सिंह में भी नाराजगी देखने को मिली।
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