राजकीय महाविद्यालयों में करीब 400 असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती होगी, उप्र लोक सेवा को भेजा था अधियाचन
कई वर्षों से राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई थी। कुछ महीने पहले उच्च शिक्षा निदेशालय ने राजकीय महाविद्यालयों से असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली पदों की सूची मंगवाई पता चला कि करीब चार 400 पद खाली हैं। इन पदों पर भर्ती के लिए यूपीपीएससी को अधियाचन भेजा था।

प्रयागराज, राज्य ब्यूरो। प्रदेश भर के राजकीय महाविद्यालयों में करीब चार सौ असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती होगी। भर्ती के लिए इसका अधियाचन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को भेजा गया था। हालांकि आरक्षण की स्थिति स्पष्ट न होने पर आयोग से उसे वापस कर दिया था। अब उच्च शिक्षा निदेशालय से उससे संशोधित कर दिया है। आयोग को संशोधित अधियाचन मिलने के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। आसार है कि अगले कुछ महीनों में भर्ती का विज्ञापन जारी हो जाए।
प्रदेश के महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी : प्रदेश भर में 172 राजकीय महाविद्यालय हैं। इन महाविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। शिक्षकों की कमी से कई विषयों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। इसलिए विद्यार्थियों की संख्या भी कम हुई है। शिक्षक न होने से विद्यार्थी अपने निकट के राजकीय महाविद्यालय में प्रवेश लेने के बजाए उन्हें दूसरे शहरों में जाना पड़ रहा है।
उप्र लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजा गया था : पिछले कई वर्षों से राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई थी। कुछ महीने पहले उच्च शिक्षा निदेशालय ने सभी राजकीय महाविद्यालयों से असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली पदों की सूची मंगवाई, पता चला कि करीब चार 400 पद खाली हैं। इन पदों पर भर्ती के लिए चार महीने पहले उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजा गया था।
आयोग ने यह कहकर अधियाचन वापस कर दिया कि इसमें आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं है। उसे स्पष्ट करते हुए दुबारा अधियाचन भेजने को कहा गया। इस पर उच्च शिक्षा निदेशालय से आरक्षण की स्थिति स्पष्ट कर दी गई। बताया गया कि महाविद्यालयों में कुल पदों के अनुसार आरक्षण लागू होता है, खाली पदों के अनुसार नहीं। इसलिए जिस वर्ग की सीटें खाली है, उसकी भर्ती की जाएगी। इसे स्पष्ट करते हुए शासन को भेज दिया गया है। शासन से संशोधित अधियाचन मिलने के बाद आयोग से भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
प्राचार्य के भी खाली हैं 104 पद : राजकीय महाविद्यालयों में प्राचार्य के 104 पद खाली हैं। इन पदों को भरने के लिए शासन में फाइल लंबित है। 2019 में प्राचार्य के करीब 80 पद खाली थे। इन पदों को भरने के लिए डीपीसी हुई लेकिन तीन साल बाद भी इसका परिणाम नहीं आया। इन तीन वर्षों से और प्राचार्य रिटायर हो गए हैं। इसलिए अब 172 राजकीय महाविद्यालयों में से 104 में प्राचार्य नहीं है। स्थायी प्राचार्य न होने से प्रभारी के नेतृत्व में व्यवस्ता संचालित है। स्थायी प्राचार्य के न होने से नीतिगत निर्णय नहीं लिए जा रहे हैं और शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
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