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नरपिशाच कोलंदर को भी सताता है मौत का डर

By Edited By: Published: Sun, 02 Dec 2012 01:57 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2012 02:00 PM (IST)
नरपिशाच कोलंदर को भी सताता है मौत का डर

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद। जान लेने में जिसे जरा भी भय नहीं लगता था, मृतकों की खोपड़ी में पानी पीना और मुर्दा जिस्म को खाना जिसका शगल था, उसे भी अपनी जान प्यारी थी। चौदह लोगों की हत्या के आरोपी राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर ने जेल में खुद को सुरक्षा की मांग की थी।

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न्यायालय ने यह सुरक्षा उसे अंतत: उपलब्ध भी कराई थी। इसी राजा कोलंदर को पत्रकार धीरेन्द्र सिंह हत्या मामले में शुक्रवार को अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई। उसे लखनऊ पुलिस ने 12 साल पहले गिरफ्तार किया था।

राजा कोलंदर ने विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर कोर्ट में दो जुलाई, 2008 को अर्जी दाखिल की थी। इसमें उसने बताया था कि उसके खिलाफ हत्या के 14 मामले हैं। उसकी जान को खतरा है। ऐसे में उसे स्पेशल गार्ड चाहिए। कोर्ट ने जिला अधीक्षक कारागार को निर्देश दिया कि राम निरंजन को स्पेशल गार्ड की व्यवस्था करें या ऐसी गाड़ी में भेजने की व्यवस्था की जाए, जिसमें उसके विरोधी न हों। उसे उसके विरोधियों से अलग बैरक में रखा जाए। राजा कोलंदर जिस शख्स की हत्या करता था, उसके बारे में जानकारियां एक डायरी में दर्ज करता था। फिर उन जानकारियों के आधार पर व्यक्ति को मारने की योजना बनाता था।

फांसी की गुहार होगी हाई कोर्ट से

पत्रकार धीरेन्द्र सिंह हत्याकांड में राजा कोलंदर को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद परिजनों ने राहत की सांस तो ली है पर उनका कहना है कि अभी पूरा न्याय नहीं मिला है। स्वर्गीय धीरेन्द्र के बड़े भाई वीरेन्द्र सिंह अपने भाई के हत्यारोपी राजा कोलंदर को फांसी पर लटकते देखना चाहते हैं। वह अब इस मामले को हाई कोर्ट ले जाएंगे। पत्रकार धीरेन्द्र शंकरगढ़ थाना क्षेत्र के बैरी बसहरा उपरहार गांव के रहने वाले थे। इसी गांव की फूलनदेवी नाम की लड़की से राजा कोलंदर का विवाह हुआ था। राजा कोलंदर की पत्नी फूलनदेवी ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में धीरेन्द्र के परिवार ने काफी मदद की थी। यह बताते हुए धीरेन्द्र के बड़े भाई वीरेन्द्र कहते हैं कि इन सबके बावजूद राजा कोलंदर ने उनके भाई की हत्या कर दी। ऐसे में उसकी क्रूरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

अनपढ़ राम निरंजन बचपन से ही क्रूर और शातिर दिमाग था। दूसरों को तकलीफ देकर उसे राहत मिलती थी। उसकी इसी फितरत ने उसे जरायम की दुनिया में धकेल दिया। कोल बिरादरी के कोलंदर ने शंकरगढ़ में दहशत फैला रखी थी। वह जिसकी तरफ आंख उठाकर देखता उसे मौत का डर सताने लगता था। इसी खौफ के बल पर उसने बिरादरी वालों से राजा की उपाधि हासिल कर ली थी। वह खेल-खेल में साथ खेलने वाले बच्चों को लहूलुहान कर देता था। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई पागलपन उसके दिमाग पर हावी होता गया। कोलंदर को जानने वाले बताते हैं कि उसे बकरे का ताजा खून पीना पसंद था। वह अक्सर अपने फार्म हाउस पर दोस्तों के साथ मांस की दावत उड़ाता था। अनपढ़ कोलंदर को इसी बीच कहीं से पता चला कि इंसान का भेजा खाने से दिमाग तेज हो जाता है तो वह इंसानी खून का प्यासा हो गया। नर पिशाच कोलंदर ने लोगों को मारने के बाद उनका भेजा निकालकर खाना शुरू कर दिया। कोलंदर को कपड़ों का भी बेहद शौक था। वह जब भी कहीं बाहर जाने के लिए निकलता तो लांग बूट और चश्मा लगाए रहता।

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