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    कैंसर को 'भस्म' करेगा हीरा

    By Edited By:
    Updated: Mon, 06 Feb 2012 01:03 AM (IST)

    शरद द्विवेदी, इलाहाबाद

    हीरा है सदा के लिए। यह सुंदरता में चार चांद लगाता है और शरीर भी निरोग रखता है। कैंसर जैसे असाध्य रोग की कारगर दवा है हीरे की भस्म, जिसमें कैंसर की शरीर में अनियंत्रित वृद्धि रोकने की अत्यन्त प्रभावी क्षमता है। इस भस्म से दर्जनभर लोगों को अपनी बीमारी से चामत्कारिक आराम मिला है। इससे चिकित्सकों का हौसला काफी बढ़ गया है।

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    राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, हंडिया के कायचिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो.जीएस तोमर ने कैंसर को दूर करने के लिए विशेष शोध किया है। इसमें कैंसर रोगियों को हीरक भस्म, गोमूत्र के साथ कुछ दवाओं का सेवन करना होता है। इसमें हीरे की भस्म शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। इससे रोग से अतिशीघ्र निजात मिलता है, क्योंकि हीरे की भस्म से दवाएं कैंसर ग्रस्त अंग जैसे ब्रेन, ब्लड, ब्रोन आदि तक सीधे पहुंचकर कार्य करने लगती हैं। वहीं आयुर्वेदीय 'मोलीकुलरली टारगेटेड थिरेपी' से उस अंग का तेजी से सुधार होता है।

    डॉ.तोमर का कहना है कि कैंसर एक ऐसा असाध्य एवं घातक रोग है, जिसके नाम से ही मृत्युवत भय उत्पन्न होता है। कीमोथिरेपी, रेडिएशनथिरेपी तथा शल्य क्रिया में कैंसर को ठीक करने की क्षमता है। रोग के जीर्ण (पुराना) होने पर इसका लाभ नहीं मिल पाता। इससे निराशा एवं भयावहता से ग्रस्त रोगी आयुर्वेद चिकित्सकों की शरण लेते हैं।

    तीन-चार सप्ताह में ही दिखने लगता है फायदा

    डॉ.तोमर का दावा है कि हीरे की भस्म को तीन दर्जन से अधिक कैंसर पीड़ितों में प्रयोग किया गया। इसमें दस रोगियों को तीन सप्ताह में 40 प्रतिशत आराम मिल गया, जबकि 15 ऐसे मरीज थे जिनको पांच सप्ताह में 45 प्रतिशत आराम मिला। उन्होंने बताया कि शोध कार्य पूरा होने पर इसकी प्रामाणिकता के लिए आयुष को भेजा जाएगा।

    ऐसे बनती है भस्म

    पहले कुल्थी की दाल का काढ़ा बनाया जाता है। इसके बाद हीरे को तपाकर उसे 101 बार उसमें बुझाते हैं। इससे वह भस्म का रूप ले लेता है। फिर शहद में मिलाकर प्रतिदिन 10-20 मिलीग्राम की मात्रा चाटने पर लाभ मिलता है। साथ ही गोमूत्र को उबालकर अर्क बनाते हैं इसे चार चम्मच खाली पेट दिया जाता है।

    दवा के साथ करें परहेज

    कैंसर के रोगियों को दवा के साथ कुछ पहरेज भी करना होता है। बिना उसके दवा का लाभ नहीं मिल पाता।

    -प्रदूषित पानी का सेवन न करें।

    -धूम्रपान व तंबाकू का सेवन न करें।

    -शराब के सेवन से रहें दूर।

    -लाल मांस का सेवन न करें।

    -वसा युक्त खाद्य पदार्थ से बचें।

    -बासी व अधिक समय से कटे फल का सेवन न करें।

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