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    संभव है तंत्रिका संबंधी रोगों का इलाज

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 08 May 2017 01:00 AM (IST)

    इलाहाबाद : नसों से संबंधित रोगों से शरीर में तमाम परेशानियां होती हैं। कमर और पैर से संबंधित रोगो

    संभव है तंत्रिका संबंधी रोगों का इलाज

    इलाहाबाद : नसों से संबंधित रोगों से शरीर में तमाम परेशानियां होती हैं। कमर और पैर से संबंधित रोगों में असहनीय पीड़ा होती है। तंत्रिका संबंधी बीमारियों का इलाज यदि विधिवत तरीके से किया जाए तो रोग दूर हो सकता है। हड्डियों में दर्द का मुख्य कारण शरीर पर दबाव का होना है। उम्र की अधिकता और अधिक मेहनत करने वालों में इस प्रकार की समस्याएं अक्सर परेशान करती हैं। पीठ एवं जोड़ों के दर्द का कारण शुगर भी हो सकता है। रविवार को दैनिक जागरण कार्यालय में 'हेलो डाक्टर' कार्यक्रम में पाठकों के प्रश्नों का जवाब देने के लिए मौजूद रहे स्वरूपरानी नेहरू मेडिकल कालेज में चिकित्सक एवं सहायक आचार्य डा. कमलेश सोनकर ने कुछ इन्हीं बीमारियों और उनके इलाज की जानकारी दी। उन्होंने सिरदर्द के कारण, हड्डियों की समस्याएं, गठिया, क्लासटोफोबिया, स्पॉटलाइटिस, डायोस्टिक न्यूरोपैथी, नसों में खिंचाव, तनाव और डायबिटीज से संबंधित विभिन्न बीमारियों के कारण एवं उनके निवारण पर चर्चा की।

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    प्रश्न : मेरे दोनों हाथ के ज्वाइंट में दर्द रहता है। उंगलियां मोड़ने और खोलने में दिक्कत होती है, जकड़न जैसी महसूस होती है।

    एएन पांडेय, तेलियरगंज

    उत्तर : यह आर्थराइटिस की शुरूआत हो सकती है। इस प्रकार की समस्याएं इसी रोग के लक्षण हैं। पार्किंसन से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। आप किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लें, फायदा होगा।

    प्रश्न : गले में खराश, खांसी के कारण बुखार रहता है, स्थाई निदान कैसे मिल सकता है।

    धमेंद्र कुशवाहा, सरायं इनायत।

    उत्तर : इसे सोर थ्रोट कहा जा सकता है। बुखार आने का कारण वायरल भी हो सकता है। आप पैरासिटामॉल प्लेन ले सकते हैं। कुशल जनरल फिजिशियन से हाल बताकर शारीरिक समस्याओं पर काबू पाया जा सकता है।

    प्रश्न : पीठ में दर्द की शिकायत और अकड़न रहती है, इसका क्या इलाज है।

    गरिमा कुशवाहा

    उत्तर : हो सकता है कि आपको यह शिकायत उठने बैठने के तरीके के कारण हैं, यानी गलत पॉस्चर के कारण यह शारीरिक विसंगति देखने को मिल रही हो। यूरिक एसिड और कैल्शियम की जांच कराकर चिकित्सक से मिलें।

    प्रश्न : मैं एक प्रोफेशनल सिंगर हूं। ज्यादा तेज आवाज से मुझे घबराहट होने लगती है, इसका क्या इलाज हो सकता है।

    सोंटू यादव

    उत्तर : यदि आपको उलझन के साथ उल्टी आने की शिकायत है तो यह एक प्रकार की एलर्जी हो सकती है। दौड़भाग की जिंदगी में इस प्रकार की समस्याएं आती रहती हैं। इसके इलाज के लिए विधिवत परीक्षण कराना होगा। एक्पर्ट चिकित्सकों से परामर्श लें, रोग का निदान संभव है।

    प्रश्न : मैं क्लासटोफोबिया की समस्या से ग्रसित हूं। छोटी जगह में रहने से मुझे घबराहट होने लगती है।

    सुभाष गुप्त, कीडगंज।

    उत्तर : इस रोग का बिहेवियर थेरैपी और कॉग्नीटिव बिहेवियर थेरैपी की मदद से इलाज किया जाता है। इस मर्ज में ऐसी दवाएं भी उपलब्ध है जिनके नियमित सेवन से रोगी फोबिया से मुक्त हो सकता है। मनोचिकित्सक से इलाज कराना लाभप्रद हो सकता है।

    प्रश्न : मेरी पीठ में दर्द रहता है। दोनों पैर में भी दर्द बारी-बारी से घूमता रहता है। क्या इलाज हो सकता है।

    रविशंकर श्रीवास्तव

    उत्तर : आप शुगर और ब्लड प्रेशर की जांच करा लें। यह स्पांटलाइटिस के लक्षण हो सकते है। कैल्शियम और विटामिन सी की जांच करा लें। विशेषज्ञ चिकित्सक से मिलें, लाभ मिलेगा।

    प्रश्न : जकड़न के कारण निरंतर पीठ का दर्द बना रहता है, झुंझनाहट, सुन्नपन और शरीर में बर्निग जैसी समस्याएं हैं।

    रूही खातून, नूरउल्ला रोड।

    उत्तर : आप डायबिटिक न्यूरोपैथी का शिकार हो सकते हैं। इसमें भूख, प्यास और पेशाब ज्यादा लगना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। आप डायबिटीज टेस्ट कराएं। ऐसे मरीजों को निकटतम सरकारी अस्पतालों में जाकर संपूर्ण परीक्षण करा लेना चाहिए। चिकित्सक आपकी प्रोफाइल देखकर सही परामर्श दे सकता है।

    प्रश्न : मेरी उम्र 75 वर्ष है, नसों में खिंचाव और बदन में दर्द रहता है। इसका स्थाई इलाज क्या हो सकता है

    हरीश खंडेलवाल, प्रीतम नगर।

    उत्तर : ज्यादा उम्र वालों में इस प्रकार के रोगों की शिकायत मिलती है। नसों में किसी भी प्रकार की तकलीफ के लिए न्यूरोफिजिशियन बेहतर सलाह दे सकते हैं। आप की बीमारी ठीक से जा सकती है। इसके लिए दवाएं और कसरत का तारतम्य बनाए रखें।

    प्रश्न : सिर दर्द के समय अजीब सी कैफियत हो जाती है। उल्टी और माइग्रेन की समस्या बनी रहती है। घबराहट और चक्कर आने लगते हैं।

    शानू मिश्र, चकगौरी नैनी।

    उत्तर : यदि माह में चार बार ऐसा हो रहा है तो ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन यदि यह क्रम माह में चार से अधिक बार हो रहा है तो इसे किसी चिकित्सक को दिखाने की आवश्यकता है। स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में या किसी सरकारी अस्पताल में जाकर विशेष चिकित्सकों का परामर्श लें, आराम मिलेगा।

    प्रश्न : कमर में निरंतर दर्द बना रहता है। आपरेशन करा चुकी हूं, आराम नहीं मिल रहा, क्या करूं।

    रमादेवी शुक्ल, ट्रांसपोर्ट नगर।

    उत्तर : आपरेशन के बाद भी यदि दर्द बना हुआ है तो शरीर में कोई अन्य समस्या हो सकती है। अपने से कोई दवा न लें, स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में आकर दिखाएं। वरिष्ठ चिकित्सक सलाह देंगे। लाभ मिलेगा।

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    लू लगने में बरतें सावधानी

    लू लगने पर शरीर का तापमान एकदम बहुत बढ़ जाता है। गर्मी की वजह से शरीर में पानी और नमक की ज्यादा कमी होने पर लू लगने की आशका होती है। तेज धूप और गर्मी में नंगे बदन रहने वालों, बिना छाते या सिर को बिना ढके धूप में घूमने वालों, टीन से बने घरों में रहने वालों, तेज आग के सामने काम करने वालों, खेतों में काम करने वालों, खुली धूप में आने-जाने व काम करने वालों और कम पानी पीने वाले लोगों को अक्सर लू लग जाती है।

    लू लगने के लक्षण

    लू लगने पर शरीर में गर्मी, खुश्की और थकावट महसूस होने लगती है। मसल्स में खिंचाव होने लगता है। शरीर टूटने लगता है और प्यास बढ़ जाती है। कई बार बुखार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जैसे कि 105 या 106 डिग्री फॉरेनहाइट तक। यह इमरजेंसी की स्थिति होती है, जिसमें ब्लडप्रेशर भी लो हो जाता है और लिवर-किडनी में सोडियम पोटैशियम का बैलेंस बिगड़ जाता है। ऐसे में बेहोशी भी आ सकती है। इसके अलावा, बीपी लो, ब्रेन या हार्ट स्ट्रोक की स्थिति भी बन जाती है। इसके अलावा बेहोशी आना, तेज बुखार, सास लेने में तकलीफ, उलटी आना, चक्कर आना, दस्त, सिरदर्द, शरीर टूटना, बार-बार मुंह सूखना और हाथ-पैरों में कमजोरी आना या निढाल होना लू लगने के लक्षण हैं। लू लगने पर काफी पसीना आ सकता है या एकदम पसीना आना बंद भी हो सकता है। यदि उपरोक्त में से कोई भी लक्षण दिखता है तो पास के चिकित्सक से परामर्श लें।