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65 हजार टावर निजी कंपनियों को सौंपने की तैयारी

जासं, इलाहाबाद : भारत संचार निगम लिमिटेड निजीकरण की राह पर है। देश भर में इसके 65 हजार मोबाइल टावरों

By Edited By: Published: Fri, 16 Dec 2016 09:21 PM (IST)Updated: Fri, 16 Dec 2016 09:21 PM (IST)
65 हजार टावर निजी कंपनियों को सौंपने की तैयारी

जासं, इलाहाबाद : भारत संचार निगम लिमिटेड निजीकरण की राह पर है। देश भर में इसके 65 हजार मोबाइल टावरों को निजी कंपनी को सौंपने की तैयारी चल रही है। इससे बीएसएनएल के कर्मचारी आशंकित हैं। अगर मोबाइल टावर निजी कंपनियों को सौंप दिए गए तो बीएसएनएल के कर्मचारी क्या करेंगे। फिलहाल स्थिति स्पष्ट न होने पर कर्मचारियों और अधिकारियों में रोष है। इसको लेकर उन लोगों ने प्रदर्शन भी किया है।

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दरअसल संचार क्षेत्र के सरकारी उपक्रम में समय-समय पर बदलाव होता रहा है। सबसे पहले पीएंडटी (पोस्टल एंड टेलीकॉम) बना था। तब डाक और दूरसंचार विभाग एक साथ था। बाद में डाक विभाग अलग हो गया। फिर डिपार्टमेंट आफ टेलीकॉम (डीओटी) और महानगर टेलीकॉम निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) का गठन हुआ। सन 2000 में डीओटी को खत्म करके भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और विदेश संचार निगम लिमिटेड (वीएसएनएल) का गठन किया गया। कुछ साल पहले वीएसएनएल को टाटा के हाथों बेच दिया गया। अब बीएसएनएल के फिर से खंड-खंड किया जा रहा है। केंद्र में भाजपा सरकार बनने बाद गांव-गांव इंटरनेट सेवा मुहैया कराने के लिए नेशनल आप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) एजेंसी बना दी गई। एजेंसी ने काम शुरू कर दिया तो अब मोबाइल टावर सब्सिडरी कंपनी बनाई जा रही है। मोबाइल टावरों का काम इस कंपनी को मिलने के बाद बीएसएनएल कर्मियों के पास सिर्फ लैंडलाइन ही बचेगा। बीएसएनएल इम्प्लाई एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी पी अभिमन्यु ने बताया कि निगम को निजीकरण की ओर ले जाया जा रहा है। ऐसा बदलाव करके दूसरी संचार कंपनियों को फायदा पहुंचाने की भी साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल की मुख्य आय का जरिया मोबाइल है। अगर वही छिन जाएगा तो कर्मचारियों ,अधिकारियों के वेतन पर संकट आ जाएगा। लैंडलाइन और ब्राडबैंड से आय बहुत कम हैं।


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