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'हानिकारक है खून पतला करने की अधिक दवा खाना'

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : हृदय के रोगियों को खून पतला करने की दवा का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए। अध

By Edited By: Published: Sun, 20 Nov 2016 06:24 PM (IST)Updated: Sun, 20 Nov 2016 06:24 PM (IST)

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : हृदय के रोगियों को खून पतला करने की दवा का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए। अधिक दवाएं खाने से शरीर में विपरीत प्रभाव पड़ता है। यह दावा है नई दिल्ली फोर्टिस एस्कार्ट हॉस्पिटल के डॉ. अजय कुमार ने यह जानकारी दी। वह इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन द्वारा मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज में आयोजित एमेकॉन 2016 सेमिनार के अंतिम दिन रविवार को बोल रहे थे। बताया कि खून पतला करने वाली दवाओं के साइड इफेक्ट से पेट में अल्सर और ब्लीडिंग की समस्या होती है। ऐसे में हृदय रोगियों को चिकित्सकों को खून पतला करने की दवाएं जरूरत के अनुसार देनी चाहिए।

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कहा कि जिम में सेहत बनाने वालों को बाजारू फूड सप्लीमेंट के सेवन से बचना चाहिए। फटाफट मसल्स बनाने के चक्कर में कही वह अपने लीवर से हाथ न धो बैठें। इनमें पाया जाने वाले खतरनाक तत्व लीवर को खराब करता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को डॉक्टर की सलाह पर ही फूड सप्लीमेंट का सेवन करना चाहिए। डॉ. अजय ने कहा कि बाजार में बिकने वाले अधिकतर फूड सप्लीमेंट्स में एनाबोलिक स्टेरायड का प्रयोग होता है जो तत्काल मसल्स को मजबूत व शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है। लेकिन, इससे लीवर खराब होने का खतरा रहता है। युवा ऐसे फूड सप्लीमेंट का सेवन कर अस्पताल पहुंच रहे हैं।

हैदराबाद के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्टोएंट्रोलॉजी से आए डॉ. संदीप लखटकिया ने एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस तकनीक में पेन के बराबर उपकरण से पेट के रोगों की करीब से जांच की जाती है। यह ओपीडी प्रोसीजर है और इसमें पेट में गांठ, जख्म समेत अन्य रोगों की जांच के साथ सर्जरी भी करना आसान होता है। इसमें मरीज का पेट चीरना नहीं पड़ता है, जिससे वह जल्द घर जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक में कैंसर जैसे रोग का जल्द पता लग जाता है।

वहीं डॉ. अनिल अरोड़ा ने हेपेटाइटिस सी पर व्याख्यान देते हुए उसकी भयावहता पर प्रकाश डाला। डॉ. एसी आनंद ने मलेरिया से लीवर खराब होने पर प्रकाश डाला। डॉ. गोड़दास चौधरी ने शराब के लीवर पर होने वाले दुष्प्रभाव पर बात की। कानपुर से आए डॉ. अरुण खंडूरी ने कब्ज के निवारण पर चर्चा की। उन्होने कहा कि कब्ज में मल के साथ खून आए तो यह चिंताजनक स्थिति होती है। एसजीपीजीआइ लखनऊ के डॉ. समीर मो¨हद्रा ने पेट की गांठों के प्रभाव और जांच पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि गांठों के साथ बुखार, वजन घटना, पेट दर्द आदि होने पर जांच कराना जरूरी होता है। इस मौके पर डॉ. वीके दीक्षित, एसके आचार्या, प्रो. आशु श्रीवास्तव, डॉ. अजय चौधरी, डॉ. मनीषा चौधरी, प्रो. एसपी मिश्र, डॉ. शांति चौधरी उपस्थित रहे। एएमए अध्यक्ष डॉ. आलोक मिश्र ने स्वागत व सचिव डॉ. त्रिभुवन सिंह ने आभार ज्ञापित किया।


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