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    कार्तिक मास में स्नान से मिलता है तीर्थयात्रा का फल

    By Edited By:
    Updated: Mon, 17 Oct 2016 09:16 PM (IST)

    जासं, इलाहाबाद : धर्मशास्त्रों में अशाति, पाप आदि से बचने के कई उपाय बताए गए हैं। उन्हीं में से कार्

    जासं, इलाहाबाद : धर्मशास्त्रों में अशाति, पाप आदि से बचने के कई उपाय बताए गए हैं। उन्हीं में से कार्तिक मास में किए गए स्नान -व्रत का बड़ा महत्व है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस माह में की पूजा तथा व्रत से ही तीर्थयात्रा के बराबर शुभ फलों की प्राप्ति हो जाती है।

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    कार्तिक माह के महत्व का वर्णन स्कन्द पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण आदि प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। स्कंद पुराण में कार्तिक माह के महत्व के बारे में कहा गया है कि कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं, सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। ज्योतिषाचार्य डा. रामेश्वर प्रपन्नाचार्य शास्त्री ने बताया कि कार्तिक माह में शिव, चण्डी, सूर्य तथा अन्य देवों के मंदिरों में दीप जलाने तथा प्रकाश करने का बहुत महत्व है। इस माह में भगवान केशव का पुष्पों से अभिनन्दन करना चाहिए. ऐसा करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है।

    कैसे करें कार्तिक स्नान

    इलाहाबाद : श्रद्धालुओं को गंगा तथा यमुना में सुबह -सवेरे स्नान करना चाहिए। जो लोग नदियों में स्नान नहीं कर सकते उन्हें प्रात: काल अपने घर के समीप स्थित जलाशय में स्नान करना चाहिए। व्रती को सर्वप्रथम गंगा, विष्णु, शिव तथा सूर्य का स्मरण कर नदी, तालाब में प्रवेश करना चाहिए। उसके बाद आधे शरीर तक (नाभिपर्यन्त) जल में खड़े होकर विधिपूर्वक स्नान करना चाहिए। इसके बाद व्रती को जल से निकलकर शुद्ध वस्त्र धारणकर विधि-विधानपूर्वक भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। गृहस्थ व्यक्ति को काला तिल तथा आवले का चूर्ण लगाकर स्नान करने का विधान है। विधवा तथा संन्यासियों को तुलसी के पौधे की जड़ में लगी मिट्टी को लगाकर स्नान करने का विधान है। सप्तमी, अमावस्या, नवमी, द्वितीया, दशमी व त्रयोदशी को तिल एवं आवले का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

    कार्तिक स्नान का वैज्ञानिक महत्व

    इलाहाबाद : कार्तिक मास में संगम में स्नान का धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। वर्षा ऋतु के बाद जब आसमान साफ होता है और सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी तक आती है ऐसे में प्रकृति का वातावरण शरीर के अनुकूल होता है। प्रात : काल उठकर गंगा या यमुना में स्नान करने से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है। इस वातावरण से कई शारीरिक बीमारिया जैसे त्वचा संबंधी बीमारियां स्वत: ही समाप्त हो जाती है।

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