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    आवश्यक---बाबू चिंतामणि ने दी इंडियन प्रेस की सौगात

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    Updated: Tue, 09 Aug 2016 09:56 PM (IST)

    --जयंती पर विशेष-- जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : 18वीं शताब्दी में भारत में मुद्रणालयों में सुरूचिपू

    --जयंती पर विशेष--

    जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : 18वीं शताब्दी में भारत में मुद्रणालयों में सुरूचिपूर्ण मुद्रण नहीं हो पाता था। प्रयाग में मुद्रण की स्थिति काफी खराब थी। यही कारण है कि दस अगस्त 1854 को बाली गांव, हावड़ा में जन्में बाबू चिंतामणि घोष प्रयाग आए तो इस कमी को महसूस किया। इसके मद्देनजर उन्होंने चार जून 1884 को अल्फ्रेड पार्क के पास 'इंडियन प्रेस' की स्थापना करायी। यह प्रेस आगे चलकर यही प्रयाग की पहचान बना। यहां से अनेक एतिहासिक पत्र, पत्रिकाओं का वर्षो तक प्रकाशन होता रहा, जिससे ¨हदी साहित्य नए आयाम को छूआ।

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    इंडियन प्रेस से साहित्यिक हिन्दी-मासिकी 'सरस्वती', बाग्ला समाचारपत्र 'प्रवासी', अंग्रेजी समाचार पत्र 'मॉडर्न रिव्यु', अंग्रेजी त्रैमासिकी 'इंडियन थॉट', बाल-मासिकी 'बालसखा' का प्रकाशन बाबू चिंतामणि घोष के संरक्षण में हुआ था। भाषाविद् डॉ. पृथ्वीनाथ पांडेय ने अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि जिस मुद्रणालय से ¨हदी साप्ताहिक 'देषदूत', ग्रामीण मासिकी 'हल', मासिकी 'सचित्र संसार' ¨हदी साप्ताहिक 'अभ्युदय', सचित्र मासिकी 'मंजरी', मासिकी 'विज्ञान जगत', शैक्षिक पत्रिका 'शिक्षा' सहित अनेक पुस्तकों का प्रकाशन कराकर ¨हदी साहित्य व पत्रकारिता को संजोया, आज वही दयनीय स्थिति में है।

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    आज होगी स्मृति संगोष्ठी

    इलाहाबाद : इंडियन प्रेस के माध्यम से सरस्वती, बालसखा, हल जैसी एतिहासिक पत्रिकाओं का प्रकाशन कर ¨हदी पत्रकारिता को समृद्ध करने वाले बाबू चिंतामणि घोष की जयंती बुधवार को मनेगी। पं. देवीदत्त शुक्ल पं. रमादत्त शुक्ल शोध संस्थान द्वारा द्विवेदी चौक स्थित इंडियन प्रेस सभाकक्ष में शाम पांच बजे संगोष्ठी आयोजित होगी। संयोजक व्रतशील शर्मा ने बताया कि '¨हदी साहित्य को समृद्ध बनाने में बाबू चिंतामणि घोष का योगदान' विषयक संगोष्ठी में डॉ. नरेंद्र सिंह गौर, डॉ. पृथ्वीनाथ पांडेय, डॉ. रामनरेश त्रिपाठी, हरिमोहन मालवीय जैसे विद्वान शिरकत करेंगे।