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    'समाज में अहम होती है चिकित्सकों की भूमिका'

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    Updated: Wed, 27 Jul 2016 09:30 PM (IST)

    जासं, इलाहाबाद : बीमारियों के फैलने के पीछे कारण क्या हैं? लक्षण क्या हैं और कैसे इन पर काबू पाया जा

    जासं, इलाहाबाद : बीमारियों के फैलने के पीछे कारण क्या हैं? लक्षण क्या हैं और कैसे इन पर काबू पाया जा सकता है। क्या सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा की व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है, क्या डॉक्टर ठीक से अपना फर्ज निभा रहे हैं और क्या चिकित्सकीय योजनाओं का लाभ आम लोगों को मिल रहा है? आदि कुछ ऐसे सवाल थे जिनके समाधान को जागरण के युवा संपादक बुधवार को बेकरार दिखे। युवा संपादकों पार्थ सिंह दुर्गवंश, सुहिमा सिंह और अमित तिवारी ने एसआरएन अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. मनोज माथुर और सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय की विभागाध्यक्ष बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुभा श्रीवास्तव से सीधे संवाद कर अपने मन की जिज्ञासा शांत की। डॉक्टरों का कहना था कि चिकित्सक की समाज में बड़ी भूमिका होती है। चिकित्सा सेवा कोई पेशा नहीं बल्कि सेवा है। पेश है युवा संपादकों व चिकित्सकों के सवाल-जवाब।

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    डॉ. मनोज माथुर

    प्र. चिकित्सक बनने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है?

    उ. बहुत मेहनत करनी पड़ती है। एमडी करने में कम से कम नौ साल लग जाते हैं।

    प्र. आमतौर पर देखा जाता है कि डॉक्टर मरीजों का शोषण करते हैं। पैसे के लिए उन्हें बार बार दौड़ाया जाता है?

    उ. ऐसी बात नहीं है। हो सकता है कि नीम हकीम इस तरह करते हों, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई भी होती है। हां इस अभियान को और तेज करने की जरूरत है।

    प्र. कई बड़े चिकित्सक व नर्सिग होम संचालक भी मनमानी करते हैं?

    उ. चिकित्सकों को मनमानी करने की छूट नहीं मिलती। एमसीआई की कमेटी उन पर नजर रखती है। स्थानीय प्रशासन के नियम कानून भी नर्सिग होमों के लिए बने हुए हैं।

    प्र. सरकारी अस्पतालों में अक्सर मरीजों को वापस लौटा दिया जाता है?

    उ. सरकारी अस्पतालों में भीड़ ज्यादा होती है। हर व्यक्ति को अपने को दिखाना चाहता है। ऐसे में हो सकता है कि कुछ लोग छूट जाते हों। वैसे भी अस्पताल में चिकित्सक सीमा से कई गुना ज्यादा मरीज देखते हैं।

    प्र. देश में डॉक्टरों की कमी के पीछे क्या कारण हैं?

    उ. पहले स्थिति काफी खराब थी, लेकिन अब इसमें सुधार हो रहा है। मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाई जा रही है। एमसीआई द्वारा भी कॉलेजों में सीटें बढ़ाई जा रही हैं। चूंकि चिकित्सक बनने में समय काफी कम समय लगता है सो, आने वाले दस सालों में इसका असर देखने को मिलेगा।

    प्र. मानसूनी बीमारियों के फैलने के पीछे कारण क्या हैं?

    उ. हम खानपान में सतर्कता नहीं बरतते। सबसे ज्यादा जरूरी पानी हमको शुद्ध नहीं मिलता। चूंकि बरसात में बैक्टीरिया व जीवाणु तेजी से पनपते हैं तो इसका असर बीमारियों के रूप में दिखाई पड़ता है।

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    डॉ. अनुभा श्रीवास्तव

    प्र. बच्चे तेजी से बीमारी की चपेट में आते हैं?

    उ. संक्रामक बीमारियां महिलाओं और बच्चों पर तेजी से अटैक करती हैं। बरसात में बीमार होने वाले बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा होता है।

    प्र. बीमारियों के पनपने के पीछे कारण क्या हैं?

    उ. बीमारियां हवा के साथ ही खाने पीने की चीजों के साथ शरीर में पहुंचती हैं। दूषित पानी भी संक्रामक बीमारियों को फैलने में बड़ी भूमिका निभाता है।

    प्र. बरसात में किस तरह की बीमारियां हावी होती हैं?

    उ. बरसात में वायरल का प्रकोप रहता है। इसमें सभी तरह के बुखार, डायरिया, पेट दर्द, सर्दी जुकाम, सिर दर्द, बदन दर्द आदि लोगों को परेशान करते हैं। डायरिया सबसे ज्यादा बच्चों पर अटैक करता है।

    प्र. बीमारियों से बचने के लिए क्या करें लोग?

    उ. घर के आसपास गंदा पानी जमा न होने दें। कूलर में पानी न रहने दें। मच्छर पनपेंगे तो फिर वह बीमारियों का कारण बनेंगे। खाने पीने की चीजों में भी सफाई का ध्यान रखें।

    प्र. प्रदेश में शिशु मृत्युदर अभी भी ज्यादा है?

    उ. इसके पीछे जागरूकता का अभाव है। गांव के लेागों में बच्चों के जन्म को लेकर तमाम भ्रांतियां भी नवजात शिशुओं के मृत्यु का कारण बरती हैं।

    प्र. बच्चों की परवरिश में मां की क्या भूमिका है?

    उ. मां बच्चों की पहली गुरु होती है। बच्चों की देखभाल व उनके स्वास्थ्य को लेकर मां सचेत रहेगी तभी बच्चों की परवरिश अच्छी होगी।

    प्र. सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की क्या दशा है?

    उ. चिल्ड्रेन अस्पताल में तो बच्चों के इलाज की सारी सुविधाएं मौजूद हैं। दवा से लेकर उनकी जांच आदि की पूरी व्यवस्था यहां है। जो कमी है, उसके लिए शासन को लिखा गया है।