शादी के 16 साल बाद दहेज उत्पीड़न का मुकदमा
मऊआइमा, इलाहाबाद : मऊआइमा थाने में एक विवाहिता की ओर से पति व अन्य ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़
मऊआइमा, इलाहाबाद : मऊआइमा थाने में एक विवाहिता की ओर से पति व अन्य ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई जिला न्यायालय के आदेश पर की गई है। इस मामले में खास बात यह है कि यह मामला शादी के 16 साल बाद दर्ज किया गया है।
मऊआइमा के सिसई सिपाह गांव निवासी रामलखन की बेटी मंजू की शादी 28 अप्रैल 1999 को मऊआइमा कस्बे के स्टेशन रोड निवासी राजू पुत्र श्याम लाल के साथ हुई थी। शादी के बाद से ही मंजू के परिजनों पर दहेज का दबाव बनाया जा रहा था। साथ ही मांग पूरी न करने पर मंजू को प्रताड़ित किया जा रहा था। वर्ष 2013 में उसे मारपीट कर घर से भगा दिया गया। मामले में मंजू ने पुलिस से शिकायत की। सुनवाई न होने पर वह न्यायालय के शरण में गई। जिला न्यायालय ने उसे राहत देते हुए पुलिस को दहेज उत्पीड़न व मारपीट का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। इस क्रम में शादी के 16 वर्ष बाद मंगलवार को दहेज उत्पीड़न का मुकदमा पति राजू समेत चार ससुरालियों के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया। थानाध्यक्ष के अनुसार यह मामला 498, 323 और 504 के तहत दर्ज किया गया है। इसमें धारा 498 दहेज उत्पीड़न से जुड़ी है।
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मायके से धन लाने को कभी न करें मजबूर, होगी जेल
इलाहाबाद : उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता ए एन त्रिपाठी का कहना है कि पत्नी को किसी भी उम्र में मायके से धन या संपत्ति लाने के लिए दबाव न दें और उत्पीड़न न करें। ऐसा करने पर शादी के दशकों बाद भी जेल की हवा खानी पड़ेगी। पुलिस ने इस प्रकरण में 498, 323 व 504 के तहत मामला दर्ज किया है। इसमें से 498 पत्नी से चल अचल संपत्ति की गैरकानूनी मांग करने से संबंधित है। कानून में दहेज शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसकी जगह लिखा है कि पति या उसके संबंधी महिला और उसके मायके से जुड़े लोगों से गैरकानूनी ढंग से संपत्ति या धन की मांग करे तो वह दंडनीय अपराध है। यह मुकदमा कभी भी दर्ज किया जा सकता है।
दहेज निषेध कानून भी ताउम्र लागू, समय सीमा नहीं
श्री त्रिपाठी के अनुसार देश में दहेज निषेध अधिनियम अलग से बनाया गया है। इसमें न्यूनतम तीन साल की सजा है। इस अधिनियम के तहत शादी के समय या उसके बाद दहेज मांगने पर मामला दर्ज किया जा सकता है। इसमें मामला दर्ज कराने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। सिर्फ दहेज हत्या के मामले में समयसीमा निर्धारित है। इसमें शादी के बाद सात साल के अंदर महिला की मौत होने की स्थिति में पति व परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। इसमें उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।
घरेलू ¨हसा अधिनियम
महिलाओं को घरेलू ¨हसा से बचाने के लिए एक समग्र कानून लागू है। घरेलू ¨हसा अधिनियम नामक इस कानून में महिला की मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने पर सजा का प्रावधान है।
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