प्रयागराज में छह लेन फ्लाइओवर की जमीन के लिए 115 करोड़ का मुआवजा
9.9 किलोमीटर के इस फ्लाइओवर का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय की ओर से कराया जाएगा। इस फ्लाईओवर के नीचे कई बस्तियां और कछार की जमीनें है। इसके लिए कुल 62.06 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की गई है। उसमें 32.97 हेक्टेयर जमीन तो सरकारी है और 29.08 हेक्टेयर निजी क्षेत्र की है।
प्रयागराज, जेएनएन। गंगा नदी पर बनने वाले 9.9 किलोमीटर के छह लेन फ्लाइओवर के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग को 1.15 अरब रुपये में जमीन खरीदनी पड़ रही है। इस जमीन को जिला प्रशासन ने अधिग्रहण करके निर्माण एजेंसी को सौंप दिया है। अब अधिग्रहीत की गई जमीन का मुआवजा लोगों को दिया जा रहा है। पुल के लिए गंगापार मलाक हरहर से बेली उपरहार तक नौ गांवों की जमीनें आ रही है। मुआवजा बंटने के बाद जनवरी से इस पुल का निर्माण शुरू हो जाएगा।
प्रयागराज-लखनऊ मार्ग पर अभी गंगा नदी पर फाफामऊ में एक पुल है। ट्रैफिक बढऩे और शहरी आबादी के चलते इस रोड पर अक्सर जाम लगता है। इसलिए बेली के निकट लाला लाजपत मार्ग के तिराहे से यह फ्लाइओवर शुरू होकर बेली उपरहार, बेली कछार, म्योराबाद, मेंहदौरी कछार, असदउल्लापुर नकौली कछार, बाला कछार फाफामऊ, मोरहूं कछार मोरहूं उपरहार से होते हुए मलाक हरहर पर खत्म होगा। 9.9 किलोमीटर के इस फ्लाइओवर का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय की ओर से कराया जाएगा। इस फ्लाईओवर के नीचे कई बस्तियां और कछार की जमीनें आ रही है। इसके लिए कुल 62.06 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की गई है। उसमें 32.97 हेक्टेयर जमीन तो सरकारी है और 29.08 हेक्टेयर निजी क्षेत्र की है। सरकारी में 5.83 हेक्टेयर ग्रामसभा की और 26.77 हेक्टेयर नजूल की है। यह जमीनें पुल के लिए फ्री में मिल गई हैं। लेकिन निजी जमीनों को लेने के लिए राजमार्ग मंत्रालय को 1.15 अरब रुपये का मुआवजा देना पड़ा है। एडीएम नजूल गंगाराम गुप्ता ने बताया कि जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। मुआवजा वितरण किया जा रहा है। जिन लोगों की जमीन इसमें जा रही है, उनको अगर अब तक मुआवजा नहीं मिला तो कार्यालय में संपर्क कर लें। वह कागजात दिखाए और मुआवजा ले जाय। यह सरकार की प्राथमिकता का कार्य है। अगले साल की शुरुआत में ही इसका निर्माण शुरू हो जाएगा।
प्रशासन को देना पड़ा 2.87 करोड़ रुपये
फ्लाइओवर निर्माण के लिए जमीन मुहैया कराने, नाप कराने और लोगों को मुआवजा दिलाने के लिए प्रशासन शुल्क वसूलता है। इस पूरे कार्य में प्रशासन ने एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज के रूप में 2.87 करोड़ रुपये लिये।