वो मंजर याद आते ही सिहर उठते हैं शौकत
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जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : दरियाबाद निवासी मो. शौकत को तीन साल पहले का वह मंजर आज भी याद है, जब वह इराक गए थे। किस तरह दहशतगर्दो ने उन लोगों की बस रोक ली थी। गनीमत कि सेना के जवान ऐन मौके पर वहां पहुंच गए और सभी जायरीनों की जान बच गई। उस मंजर को याद कर आज भी वह सिहर उठते हैं। इराक में हालात फिर बेकाबू हैं और उनकी पत्नी शमीम जहरा नकवी व बेटी अशर फातिमा आब्दी भी इराक में फंसे हुए हैं। शायद यही कारण है कि तीन साल पहले की घटना उन्हें इस समय कुछ ज्यादा ही भयभीत कर रही है। यह तो एक बानगी भर है, लेकिन दरियाबाद सहित शहर के कई मुहल्लों में इस समय माहौल गमगीन है। इराक में चल रहे गृहयुद्ध को लेकर चर्चा हो रही है। लोग दहशतगर्दी की वीडियो एक दूसरे को दिखा रहे हैं। आपस में एक दूसरे को दिलासा भी दे रहे हैं। जिनके अपने इराक में फंसे हैं, उनके घरों पर सांत्वना देने वालों का तांता लगा है।
तहफुजेअज कमेटी दरियाबाद की ओर से भी आठ लोग जियारत के लिए भेजे गए हैं। इसमें अब्बन नकवी, शौकत जहां, रज्जाक हुसैन, कमर बानो जीरोरोड, शबाना, मुअदत्त हुसैन करैली, जहीर अब्बास जायरीनों में शामिल हैं। इन लोगों ने फोन पर परिजनों को बताया कि जैसे वह लोग बगदाद पहुंचे, वहां गोलियां बरस रही थीं। बड़ी मुश्किल से उन लोगों की जान बच पाई।
उधर, लखनऊ के काफिले के साथ गए दरियाबाद के कमर अब्बास रिजवी, फरद बानो, जहीर अब्बास की परिजनों से गुरुवार को बात हुई। उन लोगों ने बताया कि इराक में हालात बेकाबू हैं, पर वे लोग सुरक्षित हैं। शुक्रवार को परिजनों ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन बात नहंी हो सकी। उनके परिजन भी घबराए हुए हैं।
शबाना इराक में, पति पीजीआइ में
इलाहाबाद : दरियाबाद की रहने वाली शबाना भी काफिले के साथ इराक गई हुई है। परिजनों से उसकी बात नहीं हो पा रही है। इधर, उनके पति असद की हालत गंभीर है। इलाज के लिए उन्हें लखनऊ स्थित पीजीआई में भर्ती कराया गया है। परिवार के लोग उनकी देखभाल में लगे हैं। दरियाबाद में उनके घर केवल बेटी है जिसको मां के साथ पिता के भी अस्पताल से लौटने का इंतजार है।
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रिसर्च के लिए गए हैं चार दर्जन लोग
इलाहाबाद : इलाहाबाद से लगभग चार दर्जन लोग इराक में रिसर्च के लिए गए हुए हैं। इसमें से कुछ वहीं बस गए हैं। ऐसे में उनके नाते रिश्तेदारों को भी उनकी चिंता खाए जा रही है। इलाहाबाद के अम्मार साहब और कौशांबी के अहसन भी इराक में धार्मिक विषय पर रिसर्च के लिए गए हैं।

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