अधिक वेतन भुगतान की हो सकती है वसूली
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जागरण संवाददाता, इलाहाबाद :
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि गलत वेतन निर्धारण की विभागीय गलती से अधिक वेतन भुगतान की वसूली की जा सकती है। कर्मचारी यह नहीं कह सकता कि गलत वेतन निर्धारण में उसकी कोई भूमिका नहीं है। अभी तक विभागीय गलती से मिले अधिक वेतन की वसूली को कोर्ट ने सही नहीं माना था। अब इस फैसले से कर्मचारी को किए गए अधिक भुगतान की वसूली कभी भी की जा सकती है। कोर्ट ने कर्मचारी की दयनीय स्थिति को ही अपवाद माना है।
कोर्ट ने कहा है कि ऐसा कोई कानून नहीं है कि कर्मचारी द्वारा धोखे अथवा गलत तरीके अपनाकर अधिक वेतन भुगतान लेने की वसूली नही की जा सकती है। कोर्ट ने वेतन से 45 रुपये प्रतिमाह अधिक वेतन भुगतान की वसूली के आदेश को सही माना और मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। आदेश न्यायमूर्ति राकेश तिवारी तथा न्यायमूर्ति भारत भूषण की खण्डपीठ ने रेलवे मेल सर्विस इलाहाबाद में कार्यरत लेखाधिकारी नवाब अली व दो अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका का प्रतिवाद भारत सरकार के अधिवक्ता एससी मिश्रा ने किया। याचीगण की पदोन्नति हुई। उन्हें उच्च वेतनमान दिया गया। आडिट रिपोर्ट में इस पर आपत्ति उठाई गई तथा पुनर्वेतन निर्धारण को कहा। साथ ही इनके द्वारा लिए गए 21 हजार के अधिक भुगतान की वसूली की संस्तुति की। इस पर इनके वेतन से 400 रुपये प्रतिमाह कटौती का आदेश हुआ। कैट ने भी आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया। जिस पर यह याचिका दाखिल की गई थी। याचीगण का कहना था कि अधिक भुगतान उनकी गलती अथवा धोखे के कारण नहीं हुआ है। गलती विभाग की है। इसलिए विभाग अपनी गलती का दंड कर्मचारियों को नहीं दे सकता। कोर्ट ने इस तर्क को सही नहीं माना और कहा कि लोक सम्पत्ति का गलत लाभ पाने वाले व्यक्ति को उसे वापस करना चाहिए। इसकी वसूली किसी भी समय की जा सकती है। कर्मचारी की दयनीय हालत पर ही उसे इससे छूट दी जा सकती है।

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