धारा 389(1) की वैधता को चुनौती
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389(1) को असंवैधानिक करार दिए जाने की मांग में दाखिल आपराधिक अपील पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि इस मुद्दे पर जब तक भारत के अटार्नी जनरल का पक्ष नहीं सुन लिया जाता तब तक इस मुद्दे पर निर्णय नहीं सुनाया जा सकता। इस धारा में कहा गया है कि आरोपी की अपील की सुनवाई बिना विपक्षी का जवाबी दावा दाखिल कराए नहीं की जा सकती। इससे आरोपी की सुनवाई के मूल अधिकार का हनन होता है। इस उपबंध को असंवैधानिक घोषित किया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति वीके शुक्ल तथा न्यायमूर्ति रंजना पाण्डया की खण्डपीठ ने फर्रुखाबाद के राजेपुर थानान्तर्गत निवासी नायब सिंह उर्फ बहला की अपील पर दिया है। अपीलार्थी भादंसं की धारा 302 व 147 के अंतर्गत दोषी माना गया है। 21 मार्च 2014 को अपील की अगली सुनवाई की तिथि नियत की गई है। हत्या मामले में सजा के खिलाफ यह अपील दाखिल की गई है। कोर्ट ने अपीलार्थी की जमानत अर्जी पर कोई आदेश न देते हुए सरकार से जवाब मांगा है। अपीलार्थी का कहना है कि धारा 389(1) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21, 14 व 19 के विपरीत है।
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