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    प्रयाग में श्रीहरि के साथ शिव का वास

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    Updated: Sun, 10 Mar 2013 12:38 AM (IST)

    शरद द्विवेदी, इलाहाबाद : देव नगरी तीर्थराज प्रयाग दुनिया में एक ऐसा पवित्र स्थल है जहां श्रीहरि विष्णु एवं देवाधिदेव महादेव शंकर का वास है। यहां श्रीराम एवं परमपिता ब्रह्मा द्वारा स्थापित शिवलिंग हैं जहां सच्चे हृदय से मत्था टेकने वालों को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में इसकी विस्तार से व्याख्या की गई है। पतित पावनी गंगा-यमुना की मिलन स्थली संगम तीरे स्थित अक्षयवट पर विष्णु बाल रूप में विराजमान होकर मानव का कल्याण करते हैं।

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    संगम से चंद दूरी पर गंगा तीरे स्थित अति प्राचीन दशाश्वमेध महादेव का मंदिर है। सृष्टि निर्माण से पहले यज्ञ के लिए परमपिता ब्रह्मा ने इस शिवलिंग की स्थापना की। पूजन के बाद सृष्टि का निर्माण किया। मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण, शिव पुराण में कहा गया है कि दशाश्वमेध शिवलिंग पर सच्चे हृदय से मत्था टेकने पर हर इच्छा पूरी होती है। यमुना तट पर स्थित मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने वनवास जाते समय किया था। शिव पुराण में कहा गया है कि मनकामेश्वर शिवलिंग दर्शन मात्र से साधक को शारीरिक व मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं गंगातट के शिवकुटी मुहल्ले में स्थित कोटेश्वर महादेव का प्राचीन शिवलिंग है, इसके पीछे किवदंति है कि इस मंदिर को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने स्थापित किया। रावण का वध करने के बाद अयोध्या जाते समय वह महर्षि भारद्वाज का आशीर्वाद लेने के लिए प्रयाग आए। महर्षि ने उन पर ब्राह्मण की हत्या करने पर नाराजगी व्यक्त की, उससे मुक्त होने के लिए राम ने शिवलिंग की स्थापना कर पूजन किया। फाफामऊ स्थित पड़िला महादेव की स्थापना द्वापर युग में अज्ञातवास पर निकले पांडवों ने की, खुद का कष्ट हरने के लिए उन्होंने शिव जी का पूजन किया। अरैल स्थित सोमेश्वर महादेव का अति प्राचीन मंदिर है। यमुना तट पर तक्षकतीर्थ का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर तक्षकनाग का साक्षात स्वरूप है, जहां रुद्राभिषेक करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। दारागंज स्थित नागवासुकी मंदिर अत्यंत प्राचीन है, ऐसी मान्यता है कि विष्णु के अक्षयवट पर जाने के बाद शेषनाग यहां आकर विराजमान हो गए। इनका दर्शन-पूजन करने से काल सर्पदोष से मुक्ति मिलती है।

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    शिवरात्रि के कार्यक्रम

    -नवग्रह मंदिर रामबाग में रुद्राभिषेक एवं भजन-कीर्तन 11 बजे।

    -जय शिव सेना की ओर से त्रिशूल शोभायात्रा मीरापुर नेहरुनगर से सुबह 9.30 बजे।

    -तक्षकतीर्थ मंदिर में सामूहिक रुद्राभिषेक सुबह सात बजे।

    -श्रीशिव पूजा मानस समिति की ओर से कटरा से शिव बारात सुबह दस बजे।

    -शिव शक्ति सेना द्वारा त्रिशूल नंदी शोभायात्रा सुबह दस बजे।

    -श्रीहाटकेश्वर नाथ मंदिर जीरो रोड में फूलों का बंगला तैयार होगा दोपहर एक बजे।

    -श्री बजरंग सत्संग समिति की ओर से शिव बारात 12 बजे मसुरिया देवी मंदिर से निकाली जाएगी।

    -महाशक्ति पीठ ललिता देवी मंदिर में ललितेश्वर महादेव का श्रृंगार-पूजन प्रात: पांच बजे।

    -श्री शिव बारात शोभायात्रा समिति की ओर से शिव बारात दारागंज से 12 बजे।

    -प्राचीन गणेशन मंदिर चौक गंगादास में भव्य श्रृंगार-पूजन रात आठ बजे।

    -सत्तीचौरा ढाल से शिव बारात शाम सात बजे निकलेगी।

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