Move to Jagran APP

ऐतिहासिक अलीगढ़ नुमाइश का मौजूदा हाल देखकर हैरत में पड़ जाएंगे आप, ये है हकीकत

ये जो तस्वीर आपको तस्वीर नजर आ रही है ये ऐतिहासिक नुमाइश मैदान के मित्तल गेट के पास की है। यही मार्ग हुल्लड़ बाजार से जीटी रोड को जोड़ता है। दलदल बना ये दोहरा रास्ता कच्चा नहीं है। कीचड़ के नीचे डाबर की सड़क भी छुपी है।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 11:05 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 11:05 AM (IST)
ऐतिहासिक अलीगढ़ नुमाइश का मौजूदा हाल देखकर हैरत में पड़ जाएंगे आप, ये है हकीकत
ये जो तस्वीर नुमाइश मैदान के मित्तल गेट के पास की है।

अलीगढ़, जेएनएन। ये जो तस्वीर आपको तस्वीर नजर आ रही है ये ऐतिहासिक नुमाइश मैदान के मित्तल गेट के पास की है। यही मार्ग हुल्लड़ बाजार से जीटी रोड को जोड़ता है। दलदल बना ये दोहरा रास्ता कच्चा नहीं है। कीचड़ के नीचे डाबर की सड़क भी छुपी है। लेकिन, ये सड़क दिखावे की ही बची है। जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं। पानी निकासी का कोई इंतजाम नहीं है। पिछले दिनों हुई बारिश ने इसी लिए यहां ‘घर’ बना लिया। ये हालत अकेले इस मार्ग नहीं है अन्य सड़कों का ऐसा ही हाल है। ऐसा नहीं की इन सड़कों की नुमाइश प्रशासन अनदेखी करता हो। नुमाइश सजने से पहले हर साल सबसे पहले इन सड़कों को ही चमकाया जाता है। लेकिन सड़कों की चमक नुमाइश खत्म होने के साथ ही फीकी पड़ जाती है। ये सड़क किसकी दया से ऐसी बनाई जाती हैं इसकी तह में प्रशासन को जाना ही चाहिए।

loksabha election banner

फिर चलने लगी कूची

दुधारू गाय कहे जाने वाली नुमाइश के सजने का वक्त आ गया है। 28 जनवरी से लगना प्रस्तावित है। कोरोना काल में लगने जा रहे इस जलसे की तैयारी शुरू हो चुकी है। मजदूर कूची लेकर दुकानों को रंगने लगे हैं तो कृषि कक्ष में फावड़ा भी अपने काम में जुट गया है। एक बार फिर सड़कों को चमकाने का काम भी शुरू होगा। ट्रकों से जिस दीवार को जमीदोज किया गया है वो भी बनेगी। औद्याेगिक मंडप के पास बनने वाली ये दीवार हर साल बनती है। इसके टूटने का कारण शायद ही नुमाइश प्रशासन ने तलाशा हो। देखने में भले ही ये छोटे-छोटे नुकसान हों लेकिन इनकी मरम्मत पर खर्च किसी नए काम से कम नहीं होता। अफसरों को इसके प्रति गंभीर होने की जरूरत है। नुमाइश फंड का महत्व उस परिवार से ज्यादा शायद कोई नहीं जान सकता जिसे प्रशासन से कभी-कभी मदद मिलती है।

बिन बुलाए बन रहे मेहमान

सरकार ने भले ही अभी पंचायत चुनाव की घोषणा नहीं की हो लेकिन गांव देहात में सियासी बिसात बिछनी शुरू हो गई है। दावेदार इन दिनों मतदाताओं पर छाप छोड़नी की पूरी कोशिश में जुटे हुए हैं। वोटरों को रिझाने के लिए हर दांव खेल रहे हैं। रामयाण, भागवत हो या फिर किसी की जन्मदिन की पार्टी। हर जगह नेता जी का चेहरा दिख ही जाता है। कई जगह तो बिन बुलाए भी पहुंच जाते हैं। एक दावेदार ने तो जनता को रिझाने का अनोखा तरीका निकाला है। घोषणा की है कि अगर वह अपने वार्ड से जिला पंचायत सदस्य बने तो किसी अध्यक्ष प्रत्याशी के लिए बिकेंगे नहीं। वह क्षेत्र के विकास के लिए संघर्ष करेंगे। क्षेत्र की आवाज को जिला पंचायत में उठाएंगे। उनके वायदों का क्या असर होता है ये तो चुनाव बाद ही पता चल सकेगा। नेता और भी हैं जो वायदे ही कर रहे हैं।

...चटकारे तो लेंगे ही

नवंबर में जब गन्ना पिराई शुरू होती है? तो अलीगढ़ की साथा चीनी मिल सुर्खियों में आ जाती है। स्थानीय नेताओं से लेकर प्रदेश के नेताओं की नजर रहती है। मिल में जब रस निकलता है? तो मिठास लखनऊ तक भी पहुंचती है। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी मिल गच्चा खा गई। शायद ही कोई दिन ऐसा रहा हो जब रस निकालते समय मिल की सांस न अटकी हो। ये तब है? जब इस बार भी मिल की मरम्मत पर ढाई करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। मिल चालू होने की उम्मीद में गन्ना किसान सर्द रातों में अभी डेरा डाले हुए हैं। ऐसे में विपक्षी नेता तो चटकारे लेगा ही। किसानों के बीच जाकर उनका दर्द साझा कर रहे हैं। कह भी रहे हैं जिले में तीन सांसद, सात विधायक, दो एमएलसी हैं। गन्ना मंत्री अलीगढ़ के प्रभारी हैं। इसके बाद भी मिल का ये हाल है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.