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    सरकार के सहारे से उड़ान भरेगा अलीगढ़ का ताला, निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रहीं कई योजनाएं

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 06:20 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं के तहत, सरकार उत्पादन की ब्रांडिंग, विदेशी बंदरगाहों पर प्रदर्शन, अ ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, अलीगढृ। वन ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था में जुटी प्रदेश सरकार को निर्यात में तगड़ा झटका मिला। गत आठ माह में जिले का 31.75 प्रतिशत कम निर्यात हुआ। वर्ष 2024 में 7,184 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, जबकि अब तक 4,903 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है। विदेशों से अर्जित होने वाली पूंजी को संभालने के लिए कदम उठाए हैं।

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    एक्सपोर्ट प्रमोशन ब्यूरो लखनऊ ने उद्यमियों के लिए सरकारी खजाना खोल दिया है। यह उत्पादन की ब्रांडिंग, विदेश के बंदरगाह व हवाई अड्डों, अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में उत्पादन के प्रदर्शन के लिए लगाई जाने वाली स्टाल के खर्च पर 75 प्रतिशत तक सब्सिडी की सुविधा दे रही है। इसके अलावा ताला-हार्डवेयर, आर्टवेयर व अन्य उत्पाद उड़ान भरे, उसके लिए सरकार अन्य मद में आर्थिक मदद कर रही है।

    प्रदेश सरकार ने एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) में यहां निर्मित ताला-हार्डवेयर व आर्टवेयर काे चयनित किया था। ओडीओपी के अंतर्गत बैंक द्वारा दिए स्वीकृत ऋण पर 25 प्रतिशत तक सब्सिडी, विदेशों में लगने वाले इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में स्टाल लगाने के कुल खर्च का 75 प्रतिशत धनराशि के खर्च का सरकार वहन करती है। अधिकतम सवा तीन लाख रुपये खर्च किए जाते हैं।

    अगर कोई निर्यातक हवाई जहाज (कार्गो) से बुक माल का निर्यात करती है, उसके कुल किराए का 30 प्रतिशत खर्च सरकार उठाएगी। वर्ष भर में अधिकतम एक कंपनी या फर्म को 10 लाख रुपये खर्च दे सकेगी। 20 फीट के कंटेनर पर 20 हजार रुपये व 40 फीट के कंटेनर पर 40 हजार रुपये प्रति चक्कर के हिसाब से खर्च करेगी।

    अगर कोई निर्यातक उत्पाद का सैंपल विदेश भेजते हैं तो उसका 75 प्रतिशत खर्च सरकार वहन करेगी। अधिकतम धनराशि एक लाख रुपये निर्यातक को अंशदान के रूप में दी जाएगी। बंदरगाहों पर निर्यात किए जाने वाले माल को कस्टम व अन्य अधिकारी जांच करते हैं।

    इसमें माल का आइएसआइ, आइओएस या हालमार्क जांचा जाता है। इसका खर्च उद्यमियों को कराना होता है। सरकार अब 75 प्रतिशत खर्च खुद करेगी। अधिकतम वर्ष भर में एक ही कंपनी या फर्म को 25 लाख रुपये अंशदान के रूप में मिलेगा। इसके बाद ही कस्टम अधिकारी बंदरगाह से शिप के लिए माल लोड कराते हैं।

    अगर कोई भी मैन्युफैक्चरर्स अपने उत्पादन की डिजिटल कैटलाक या वेबसाइट को लांच करते हैं, उसकी डिजाइन व अन्य पर खर्च की गई धनराशि का 75 प्रतिशत खर्च सरकार उठाएगी। इस ब्रांडिंग के अधिकतम खर्च के लिए एक लाख रुपये तक अंशदान दिया जाएगा।

    अगर निर्यातक अपने माल को समुद्री रास्ते पानी के जहाज से माल निर्यात किया जाता है, उस पर प्रदेश सरकार 30 प्रतिशत खर्च सरकार उठाएगी। इस मद में उद्यमी को अधिकतम 30 लाख रुपये की सब्सिडी देगी। अगर माल का सैंपल भारतीय डाक विभाग से कोरियर किया जाता है उसका 75 प्रतिशत खर्च पर ब्यूरो खर्च उठाएगा।

    एक निर्यातक एक ही फर्म पर अधिकतम एक लाख रुपये का अंशदान ले सकते हैं। अगर किसी निर्यातक का पिछले वर्ष के मुकाबले निर्यात बढ़ता है, उससे अर्जित कुल विदेशी पूंजी का एक प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि फ्री आन बोर्ड द्वारा दी जाएगी।

    एक्सपोर्ट क्रेडिट इंश्योरेंस के प्रीमियम पर 30 प्रतिशत खर्च बोर्ड उठाएगा। माल बुक कराने वाले विदेशी व्यापारी धनराशि की गारंटी लेते हैं। इसका 30 प्रतिशत खर्च सरकार उठाएगी। अधिकतम पांच लाख रुपये दिए जाएंगे।

    शासन निर्यातकों को प्रोत्साहित कर रहा है। एक्सपोर्ट प्रमोशन ब्यूरो लखनऊ ने इन योजनाओं के संचालन प्रारंभ कर दिया है। इसका उद्यमियों को लाभ मिल रहा है। - बीरेंद्र कुमार, संयुक्त आयुक्त, उद्योग

    निर्यात को प्रदेश सरकार बढ़ावा दे रही है। इसी तरह केंद्र सरकार अगर पूर्व की योजना फोकस व अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराए, तो निर्यात और उड़ान भरेगा। - राजीव अग्रवाल, सीएमडी, आरएमआइ

    अगले वर्ष मार्च में जर्मनी के कोलोन में एक्सपो लगेगा। हमने स्टाल बुक कराया है। इस पर 10 लाख रुपये खर्च होंगे, जबकि सरकार सवा तीन लाख देती है। बजट बढ़े। - अभिषेक जिंदल, सीएमडी, विधि एक्सपोर्ट