पर्यावरण संरक्षण के साथ कमाई: अलीगढ़ में पेड़ों को बचाने के लिए गोबर से ईंधन बनाने की शुरुआत
पेड़ों को बचाने के लिए गोबर से ईंधन तैयार करने की शुरुआत हो गई है। इस पहल से पर्यावरण संरक्षण के साथ कमाई भी होगी जिसके लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को इसकी जिम्मेदारी दी मिली है। ईंधन की बिक्री के लिए कंपनी से करार हुआ है।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। पंचायती राज विभाग व पशु पालन विभाग की ओर से संचालित गोशालाओं में अब इलेक्ट्रिल मशीन से गोबर के लठ्ठे बनाए जाएंगे। इसकी शुरुआत छेरत गोशाला से होगी। इस काम गोबर का निस्तारण तो होगी ही, साथ ही लठ्ठों से आय भी होगी।
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को इसकी जिम्मेदारी दी जा रही है। विभागीय अफसरों ने लठ्ठे की बिक्री के लिए सिग्नेयर एलएलपी कंपनी से करार भी कर लिया है। 700 से एक हजार रुपये प्रति टन के दर से सूखे लठ्ठों की बिक्री होगी। हर दिन छह से टन लठ्ठों की आपूर्ति होगी।
डीपीआरओ धनंजय जायसवाल ने बताया कि प्रदेश सरकार गोवंश संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है। जिले में न्याय पंचायत स्तर पर गोशालाएं खुलवाई गईं। नगरीय निकायों में गोशालाएं खोली गई हैं। अब जिले में 150 से अधिक गोशालाएं हैं। इनमें 30 हजार से अधिक गोवंश का संरक्षण किया जा रहा है। 30 रुपये प्रति गोवंश के हिसाब से शासन से भुगतान होता है। सीडीओ अंकित खंडेलवाल के निर्देश पर अब पंचायती राज विभाग ने गोशालाओं को स्वावलंबी बनाने का फैसला लिया है। इसके तहत गोवंश के गोबर से लठ्ठे तैयार कराए जाएंगे। पहले चरण में छेरत स्थित गोशाला से शुरुआत हो रही है। गोशाला का निरीक्षण किया जा चुका है।
महिलाओं के हाथ जिम्मेदारी
पंचायती राज विभाग ने इस कार्य के लिए सिग्नेयर एलएलपी कंपनी से करार किया है। यह कंपनी गोशालाओं में मशीन उपलब्ध कराएगी। महिला समूहों को इन मशीनों के संचालन की जिम्मेदारी मिलेगी। यह गोबर एकत्रित करके मशीन के माध्यम से लठ्ठे तैयार करेंगी। दो से तीन दिन तक इन्हें सुखाया जाएगा। इसके बाद इन लठ्ठों को 700 से एक हजार रुपये प्रति टन के बीच में कंपनी को ही बिक्री हो जाएगी। इससे होने वाली आय से बिजली का बिल भुगतान व स्वयं सहायता समूह आपस में बांट लेंगे।
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