Move to Jagran APP

अलीगढ़ में सपा किसान पंचायत का सच, खेतों से सदन पहुंचने की राह तलाश रही सपा Aligarh news

सत्ता में वापसी के लिए सपा अपने तरकश से हर तीर चल रही है। खुद को चौ. चरण सिंह का असली वारिस बताती रही सपा। इसकी शुरुआत शुक्रवार को किसानों के संघर्ष की भूमि रही टप्पल में खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने की।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 08:11 AM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 10:01 AM (IST)
अलीगढ़ में सपा किसान पंचायत का सच, खेतों से सदन पहुंचने की राह तलाश रही सपा Aligarh news
कृषि कानून के विरोध में आयोजित किसान पंचायत में अखिलेश यादव ने किसानों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

विनोद भारती, अलीगढ़: सत्ता में वापसी के लिए सपा अपने तरकश से हर तीर चल रही है। खुद को चौ. चरण ङ्क्षसह का असली वारिस बताती रही सपा फिर खेतों से सदन पहुंचने की राह तलाश रही है। इसकी शुरुआत शुक्रवार को किसानों के संघर्ष की भूमि रही टप्पल में खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने की। कृषि कानून के विरोध में आयोजित किसान पंचायत में अखिलेश यादव ने किसानों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह समझाने की पूरी कोशिश करते दिखे कि केंद्र व प्रदेश सरकार खेती और किसान को बर्बाद कर ही है। सपा ही है जो उन्हें इससे बचा सकती है। यह संदेश भी दिया कि एक कदम किसान चलेंगे तो सपा का कार्यकर्ता उनके साथ चलेगा।

loksabha election banner

भीड़ देख गदगद हुए अखिलेश

देश में कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन को गैर भाजपाई दलों को बड़ा मुद्दा दे दिया है। आंदोलन के 100वें दिन टप्पल स्थित इंटरचेंज के निकट मैदान पर आयोजित किसान पंचायत में उम्मीद से अधिक भीड़ जुटी। अखिलेश यादव मंच पर आए तो भीड़ को देख गदगद हो गए। आंखों की चमक बता रही थी, जैसा सियासी वातावरण वे चाह रहे थे, वैसा ही मिला। भाषण की शुरुआत ही किसानों को भरोसा देते हुए कि आप और हम अलग नहीं है। जिस दिन से आंदोलन चला है, उसी दिन से साथ खड़े हैं। कानून वापस होने तक इस लड़ाई में साथ रहेंगे। फिर एक तीर से दो निशाना साधे। बोले-यदि खेत नहीं होंगे, अन्न पैदा नहीं होगा तो हम कितने दिन जिंदा रहेंगे। यह सुनकर पंचायत में तालियों की गडग़ड़ाहट गूंजी तो अखिलेश ने दूसरी डोज दी, बोले-लाकडाउन में जब वायरस से बचाव के लिए सब घरों में बंद थे। उद्योग-धंधे ठप हो गए, तब किसान ही खेतों पर डटा था। किसानों ने ही देश का सम्मान बचाया। यह सुनकर पंचायत में सबसे पीछे खड़े एक वयोवृद्ध मूंछों को तांव देते नजर आए। वहीं, कुछ किसानों ने सपा के समर्थन में नारेबाजी शुरू कर दी। अखिलेश ने चौधरी चरण ङ्क्षसह का नाम लिया तो किसानों को याद दिलाया कि मुलायम ङ्क्षसह यादव को किसानों ने ही धरती-पुत्र आपने ही नाम दिया। कहा, आप किसान हैं तो सपा भी किसान है। अखिलेश ने न तो बसपा की बात की और न कांग्रेस की। न तो अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया और न दलितों का। इसके पीछे भी सोची-समझी रणनीति रही। सपा ने किसानों को साफ संदेश दिया कि अब उनके सामने भाजपा है या फिर सपा। उम्मीद थी कि वे अकराबाद की घटना पर कुछ बोलेंगे, लेकिन करीब 45 मिनट के भाषण में केवल किसानों से जुड़े मुद्दे पर ही बात करते रहे। राकेश टिकैत को खुद फोन करके समर्थन की बात किसानों को बताई। सपा के रणनीतिकारों का भी यही मानना है कि यदि आगामी विधानसभा चुना में किसान सपा के साथ आ गया तो सत्ता परिवर्तन होने से कोई नहीं रोक पाएगा। इसलिए सपा खेतों से सत्ता की राह तलाशेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.