Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ताड़कासुर राक्षस था शिवभक्‍त, जिसका वध कर प्रायश्‍चित करने के लिए कार्तिकेय ने कराया था तीन शिवलिंगों का निर्माण, जानिये पूरी कहानी

    By Anil KushwahaEdited By:
    Updated: Tue, 09 Mar 2021 04:27 PM (IST)

    अलीगढ़ जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर इगलास क्षेत्र के गांव सहारा खुर्द स्थित शिव मंदिर में एक नहीं तीन शिवलिंग हैं। जिनकी स्थापना शिव पुत्र कार्तिकेय ने कर शिव आराधना की थी। ऐसा शिवभक्त ताड़कासुर राक्षस के वध का प्रायश्चित करने के लिए किया।

    Hero Image
    अलीगढ़ के इगलास क्षेत्र के गांव सहारा खुर्द स्थित शिव मंदिर में एक नहीं तीन शिवलिंग हैं।

    योगेश कौशिक, अलीगढ़ : अलीगढ़ जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर इगलास क्षेत्र के गांव सहारा खुर्द स्थित शिव मंदिर में एक नहीं तीन शिवलिंग हैं। जिनकी स्थापना शिव पुत्र कार्तिकेय ने कर शिव आराधना की थी। ऐसा शिवभक्त ताड़कासुर राक्षस के वध का प्रायश्चित करने के लिए किया। एक श्राप के चलते स्थल को गुप्त तीर्थ स्थल नाम से पहचान मिली। यहां श्रद्धा के साथ मांगी गई मनौतियां भगवान शिव पूरी करते हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     

    ताड़कासुर को मिला था वरदान

    पुराणों के अनुसार ताड़कासुर राक्षस को वरदान था कि उसकी मृत्यु भगवान के शिव के पुत्र के हाथों ही होगी। उसके आतंक से देवता भी भयभीत हो गए। गंगा-यमुना के बीच देवताओं और राक्षसों में भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध में कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध कर दिया। वध होने से ताड़कासुर के आतंक से ऋषि मुनियों को मुक्ति तो मिली, लेकिन कार्तिकेय परेशान थे। ताड़कासुर उनके पिता भगवान शिव के भक्त थे। शिवभक्त को मारने का प्रायश्चित करने के लिए कार्तिकेय ने भगवान विश्वकर्मा से तीन विशुद्ध शिवलिंगों का निर्माण कराया। यहां तीनोंं शिव लिंग कुछ ही दूरी पर हैं। प्रत्येक शिवलिंग की ऊंचाई चार से पांच फुट है। मंदिर के महंत बाबा मोहनगिरी बताते हैं कि कार्तिकेय ने वध करने का निर्णय लिया उन्हें उसी वक्त मानसिक पाप लगा। वध के लिए निमित शक्ति फेंकी वह राक्षस के सिर पर लगी, यह कायिप पाप कहलाया। जहां अचेत शरीर गिरा और उसका वास्तविक वध हुआ वह नैमित्तिक पाप लगा। तीनों पापों के प्रायश्चित के लिए कार्तिकेय ने संकल्प लेने वाले स्थान पर प्रतिज्ञेश्वर, जहां से शक्ति फेंकी वहां कपालेश्वर और जहां निर्जीव शरीर गिरा वहां कुमारेश्वर लिंग की स्थापना की। कुमारेश्वर की सबसे अधिक मान्यता है। यह एक गुप्त तीर्थस्थल है। इसका उल्लेख शिवपुराण, भागवत पुराण, स्कंदपुराण व विश्वकर्मा पुराण में मिलता है।    

    शिव विवाह व कुश्ती दंगल का होगा आयोजन

    इस बार महाशिवरात्रि 11 मार्च को है। इस दौरान शिव मंदिर पर दो दिवसीय मेले का आयोजन धूमधाम से किया जाएगा। इसके लिए तैयारियां पूर्ण की जा रही है। मेले में दूर दराज से आए दुकानदार व झूले वाले शोभा बढ़ाएंगे। मेले में संगीत मई शिव विवाह का आयोजन किया जाएगा। मेला व्यवस्थापक समाज सेवी संजय चौधरी ने बताया कि मेले में विशाल कुश्ती दंगल भी होगा। आखिरी कुश्ती एक लाख 51 हजार रु पये की होगी।