सुमित्रा नंदन पंत ने गांधी के असहयोग आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका Aligarh News
संस्था के अध्यक्ष जतन चौधरी ने पंतजी की जीवनी सुनाते हुए कहा कि वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनका संपूर्ण काव्य आधुनिक साहित्य चेतना का प्रतीक है। उनके काव्य जीवन का आरंभ प्रकृति के प्रांगण से हुआ था इसलिए उन्हें प्रकृति के सुकुमार कवि कहा जाता है।

अलीगढ़, जेएनएन। परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा इगलास क्षेत्र के गांव तोछीगढ़ में प्रकृति के सुकुमार राष्ट्रकवि पद्यभूषण सुमित्रा नंदन पंत की जयंती मनाई गई। इस दौरान साहित्य विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें साहित्य प्रेमी व विद्यार्थियों ने भाग लेकर विचारों व कविताओं के माध्यम से श्रद्धांजलि दी।
राष्ट्र के विकास में योगदान देना जरूरी
संस्था के अध्यक्ष जतन चौधरी ने पंतजी की जीवनी सुनाते हुए कहा कि वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनका संपूर्ण काव्य आधुनिक साहित्य चेतना का प्रतीक है। उनके काव्य जीवन का आरंभ प्रकृति के प्रांगण से हुआ था, इसलिए उन्हें प्रकृति के सुकुमार कवि कहा जाता है। उन्होंने 1921 में गांधीजी के आव्हान पर असहयोग आंदोलन में बढ़चढ़कर भाग लिया। उन्हें देश से स्वाभाविक प्रेम था किंतु ग्रामीण भारत की दुर्दशा को देखकर बहुत की व्यथित होते थे। कवियत्री राधा चौधरी ने चींटी को देखा, वह सरल, विरल, काली रेखा कविता के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि पंत जी ने चींटी जैसे सामान्य प्राणी के माध्यम से कर्म और यथार्थ का ज्ञान कराया है। हमें पंतजी के जीवन से प्रेरणा लेकर कर्मनिष्ठ होकर समर्पित भावके कर्म करते हुए राष्ट्र की विकास में योगदान देना चाहिए। हरिवंश चौधरी, पवन ठैनुओं आदि ने भी विचार रखे। अध्यक्षता इंजी. रमेशचंद चौहान व संचालन सोनिया चौधरी ने किया। इस मौके पर साधना, भारती वाष्र्णेय, धर्मवीर सिंह, सूरज, नव्या, शिखा वाष्र्णेय, अंजली, परी, जाग्रति, सोनी शर्मा, गोरी शंकर शर्मा आदि थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।