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    Shortcut Effigy Combustion: : हो गया पुतला दहन, विस्‍तार से जानिए नेताजी का सचAligarh News

    By Sandeep Kumar SaxenaEdited By:
    Updated: Thu, 07 Oct 2021 11:04 AM (IST)

    अब पुतला दहन भी रेडीमेट हो गया है। वरना एक समय था जब बकायदा पुतला बनाकर धरना स्थल पर लाया जाता था फिर पुतले को घुमाया जाता था। नारेबाजी के साथ उसका दहन किया जाता था। मगर अब धरना-प्रदर्शन और पुतला दहन सब शार्टकट हो गया है।

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    अब धरना-प्रदर्शन और पुतला दहन सब शार्टकट हो गया है।

    अलीगढ़, जागरण संवाददाता। अब पुतला दहन भी रेडीमेट हो गया है। वरना एक समय था जब बकायदा पुतला बनाकर धरना स्थल पर लाया जाता था, फिर पुतले को घुमाया जाता था। नारेबाजी के साथ उसका दहन किया जाता था। मगर, अब धरना-प्रदर्शन और पुतला दहन सब शार्टकट हो गया है। अभी हाल में प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन था। तस्वीर महल पर नेताओं का जमावड़ा लगा हुआ था। लखीमपुर खीरी मामले में नेताओं ने सरकार के खिलाफ खूब आक्राेश दिखाया। तभी मौका पाकर एक नेताजी गत्ते का एक डिब्बा कहीं से ले आए और चुपके से उसमें आग लगा दी, पुलिस की नजर पड़ी तो वह दौड़ पड़ी, मगर तबतक डिब्बा धधक चुका था। धरने पर बैठे नेताजी बोल पड़े, भाई सरकार के खिलाफ हो गया प्रदर्शन, जोरदार संघर्ष रहा। इसके बाद सभी फोटो लेकर इंटरनेट मीडिया को फोटो से भर दिया। लखनऊ कार्यालय भी भेज दिया था, जिससे विरोध प्रदर्शन की एंट्री हो जाए।

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    अंदरखाने बहुत कुछ चल रहा है

    कमल वाली पार्टी में आडियो बम फूट पड़ा है, कुछ के चेहरों पर मुस्कान है तो कुछ मुरझाए हैं। इस आडियो बम का धमाका इतना तेज हुआ था कि मानों लगा दिल्ली तक इसकी धमक पहुंचेगी, मगर यह सूतली बम की तरह फुस्स हो गया। दरअसल, पार्टी में यह पहला आडियो बम नहीं है। यहां आडियो वायरल करने की परंपरा है। इससे पहले दो आडियो और वायरल हुए थे, एक मंत्रीजी के खिलाफ थी तो दूसरी मडराक से निकली थी, जिसमें अपशब्दों की बौछार थी। पूरी पार्टी में इन दोनों आडियो से खलबली मच गई थी। ऐसा लगा था कि कुछ न कुछ होगा, मगर मामला शांत रहा। उन आडियो के बारे में भी जबतब पूछा जाता रहा तो सिर्फ एक बात सामने आती थी अंदरखाने बहुत कुछ चल रहा है। पार्टी के पुराने और कर्मठ नेता इस अंदरखाने से परेशान हो उठे हैं, वो बोल पड़े पांच साल होने को है, ये मामले बाहरखाने कब आएंगे?

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    इतनी सुस्ती क्यों साहब

    अपनी पुलिस घटना के बाद जागती है। इसका खामियाजा पूरे तंत्र को उठाना पड़ता है। गोरखपुर में मनीष गुप्ता की हत्या के मामले निष्ठुरता नजर आई तो लखीमपुर खीरी मामले में सुस्ती दिखी। लखीमपुरी खीरी में कई दिनों से मामला गर्म चल रहा था, मगर पुलिस सतर्क ही नहीं हुई। हेलीपैड तक पर लोग पहुंच गए, तब भी पुलिस यह नहीं जान पाई कि मामला कभी भी तूल पकड़ सकता है, इसी का परिणाम रहा कि पूरा जिला धधक उठा और एक बदनुमा दाग लग गया। पुलिस की लापरवाही की तस्वीर अपने जिले के कप्तान आफिस पर भी दिखाई दी। कुछ दिन पहले एक युवक ने कप्तान परिसर में ही किसी विषाक्त पदार्थ का सेवन कर लिया था। उसके मासूम बच्चे पिता की हालत पर चीखते रहे, मगर पुलिस में सक्रियता नहीं दिखी। एक साहब ताे तंबाकू मलते हुए नजर आए, भला हो उन साथियों का जिन्होंने युवक को टांग लिया और अस्पताल पहुंचाने में सक्रियता दिखाई।

    बड़े काम के भइयाजी

    भइयाजी सत्ता में नहीं हैं, मगर बड़े काम के हैं, जो काम सत्ता दल वाले नहीं करा पाते हैं, भाईजी अपने कुशल व्यवहार से करवा देते हैं। अब तो सत्ता दल के भी तमाम लोग भइयाजी की तारीफ करते हुए नजर आने लगे। उनका कहना है कि भइयाजी जिसे मान लेते हैं, उसके लिए तो जी-जान लड़ा देते हैं, कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। यूपी में भले ही दाल कम गलती हो राजस्थान और हरियाणा में तो वह चुटकियों में काम करा देते हैं। वहीं, सत्ता दल के नेताजी को कोई छोटा सा भी काम बता दो तो पसीने छूट जाते हैं। अभी छर्रा के ही एक नेताजी रो पड़े, बोलें बेटे को जमकर पीटा गया और उसके खिलाफ ही कार्रवाई हो हो गई, पुलिस अपराधी की तरह उसे ले गई। जनप्रतिनिधियों से भरी पड़ी पार्टी एक भी गिरफ्तारी नहीं करा सकी। वहीं, दूसरा पक्ष लगातार प्रदर्शन कर रहा है।