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    बाबू खां ने बनवाया शिव मंदिर, पुजारी भी मुस्लिम

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 17 Aug 2017 02:35 AM (IST)

    मंदिर भगवान शिव का, लेकिन पुजारी मुस्लिम। है न चौकाने वाली बात, पर है सही। यह मंदिर अनूपशहर रा ...और पढ़ें

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    बाबू खां ने बनवाया शिव मंदिर, पुजारी भी मुस्लिम

    मंदिर भगवान शिव का, लेकिन पुजारी मुस्लिम। है न चौकाने वाली बात, पर है सही। यह मंदिर अनूपशहर रोड पर मिर्जापुर गांव के पास है। इसे एक मुस्लिम ने ही बनवाया। पुजारी भी मुस्लिम ही है। दंगों के लिए बदनाम शहर में सांप्रदायिक सद्भाव की यह एक बड़ी मिसाल है। इससे भर के उन तमाम लोगों को एकता का संदेश जाता है, जो धर्म के नाम पर एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं। धार्मिक स्थलों पर जरा-जरा सी बात पर विवाद खड़ा कर देते हैं।

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    बाबू खां बने मिसाल

    गांव मिर्जापुर की प्रधान शमा परवीन के पति बाबू खां ने 2013 में यह मंदिर बनवाया। इसके लिए उन्हें किसी ने प्रेरित नहीं किया। दरअसल सीडीएफ चौकी के पास उबड़ -खाबड़ जमीन थी। लोग यहां से निकलने में डरते थे। यह बाबू खां को अखर रहा था। हालात बदलने के लिए मंदिर की जरूरत महसूस हुई, जिसके लिए इलाके के लोगों से अनुमति लेने के बाद काम शुरू करा दिया। इसका पूरा खर्चा अपने पास से किया। 15 से 20 गज में यह मंदिर मात्र पांच-छह दिन में तैयार कराया गया। मंदिर संगमरमर से बना हुआ है। यह पत्थर दिल्ली से मंगाया गया था, कारीगर भी वहीं से बुलाए गए। बाबू खां के पांच बेटा व तीन बेटियां हैं। वे मंदिर की सफाई आदि में सहयोग करते हैं।

    मस्जिद में नमाज, मंदिर में पूजा

    बाबू खां की दिनचर्या बड़ी रोचक है। वे सुबह नमाज के लिए मस्जिद जाते है और बाद में शिव मंदिर आकर पूजापाठ करते हैं। ऐसा करते देख कई लोगों ने सवाल उठाए, पर बाबू खां घबराए नहीं। न पीछे हटे। उनका कहना है कि गांव में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही भाइयों की तरह रहते हैं, इस लिए मंदिर का निर्माण कराया है।

    पुजारी अबरार करते हैं कीर्तन

    मंदिर के पुजारी की जिम्मेदारी गांव के ही अबरार संभाले हुए हैं। बाबू खां भी मंदिर की देखरेख करते हैं, लेकिन अबरार ¨हदू समाज के लोगों के बीच घुल मिल गए हैं। वे हिंदू अनुष्ठानों और परंपराओं के अनुसार भगवान शिव की पूजा करते हैं। कीर्तन भी करते हैं। शिव पुराण का पूरा ज्ञान है। मंदिर में रामायण का पाठ करना उनकी दिनचर्या में शामिल है। उनका कहना है कि ¨हदू और मुसलमान दो आंखों की तरह हैं। अलग नहीं हो सकते। सावन में तो मंदिर पर मेला जैसा माहौल रहता है।

    तीन बार हुए सम्मानित

    शिव मंदिर से सद्भाव की मिसाल पेश करने वाले बाबू खां का प्रशासन द्वारा सम्मान किया जा चुका है। तत्कालीन डीएम राजीव रौतेला ने उन्हें तीन बार गंगा जमुनी पुरस्कार से नवाजा था।