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    शरद पूर्णिमा में भक्तों को दर्शन देंगे भगवान, जाने पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 10:01 PM (IST)

    अलीगढ़ में शरद पूर्णिमा के अवसर पर मंदिरों में विशेष आयोजन किए जा रहे हैं। भगवान को सफेद वस्त्रों से सजाया जाएगा और खीर का भोग लगाया जाएगा। भक्त चंद्रमा को अर्घ्य देंगे और व्रत रखेंगे। इस दिन भगवान कृष्ण ने महारास रचा था इसलिए इसका विशेष महत्व है। माना जाता है कि चंद्रमा की रोशनी में खीर अमृत तुल्य हो जाती है।

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    चंद्रमा की धवल रोशनी में भक्तों को दर्शन देंगे भगवान। जागरण

    जागरण संवाददाता, अलीगढ़ । शरद पूर्णिमा से शरद ऋत प्रारंभ हो जाती है। सोमवार को सोलह कलाओं से युक्त धवल चंद्रमा धरती पर अमृत बरसाएगा। इसी दिन भगवान कृष्ण ने महारास रचाया था। भगवान सफेद वस्त्र में मंदिर से बाहर निकलकर भक्तों को दर्शन देंगे। भक्त उन्हें भोग लगाएंगे। भजन और कीर्तन पर भक्त झूमेंगे। प्रसाद भी बांटा जाएगा। महिलाएं व्रत रखकर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देंगी। सोमवार दोपहर 12.23 बजे से आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी। मंगलवार को सुबह 9.17 बजे तक रहेगी।

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    इसलिए व्रत की पूर्णिमा सोमवार को ही मान्य रहेगी।  टीकाराम मंदिर के पुजारी राजू पंडित ने बताया कि सीताराम जी को सफेद वस्त्रों के साथ सफेद शृंगार किया जाएगा। वे चंद्रमा की रोशनी में भक्तों को बाहर आकर दर्शन देंगे। खीर का भोग लगेगा। प्रसाद बंटेगा। भजन कीर्तन भी होंगे। जयगंज स्थित श्री मंगलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का चांदी के मुकुट से शृंगार किया जाएगा। खीर बनाकर प्रसाद बांटा जाएगा।

    भगवान शिव चंद्रमा को धारण करेंगे

    अचलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव चंद्रमा को धारण करेंगे। उनका चंद्रशेखर के रूप में शृंगार किया जाएगा। श्री वार्ष्णेय मंदिर के व्यवस्थापक राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि मंदिर में ठाकुर जी व अन्य विग्रहों का सफेद वस्त्र के साथ शृंगार किया जाएगा। खीर बनेगी और प्रसाद वितरण किया जाएगा।

    श्रीगणेश मंदिर में मंगलवार को भगवान गणेश का विशेष शृंगार कर प्रसाद बांटा जाएगा। आचार्य यश भारद्वाज ने बताया कि मामू भांजा स्थित श्रीराधा मोहन मंदिर में भगवान का श्वेत वस्त्र में शृंगार किया जाएगा। खीर का भोग लगाकर प्रसाद बंटेगा। अन्य मंदिरों में भी भगवान सफेद वस्त्र में भक्तों को दर्शन देंगे।

    चंद्रमा की रोशनी में खीर हो जाती है अमृत तुल्य 

    पूर्णानंदपुरी वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी ने बताया कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने महारास रचाया था। आज खीर के भोग का भी विशेष महत्व है। चंद्रमा का संबंध दूध से माना जाता है, इसलिए दूध से बनी खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने से सकारात्मक ऊर्जा संचार के साथ ही अमृत तुल्य हो जाती है।

    मां लक्ष्मी को भी दूध की खीर बहुत प्रिय होती है, इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाया जाता है। अगले दिन यह प्रसाद घर के प्रत्येक व्यक्ति को लेना चाहिए। निरोगी काया के लिए शरद पूर्णिमा स्नान कर खीर का भोग लगाया जाता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। शरद पूर्णिमा पर भद्रा का साया दोपहर 12.23 बजे से आरंभ होकर रात 10.53 बजे तक रहेगा।

    आठ अक्टूबर को समाप्त होंगे

    इसके साथ ही तीन अक्टूबर से प्रारंभ हुए पंचक भी रहेंगे जो कि अगले आठ अक्टूबर को समाप्त होंगे। कार्तिक स्नान भी कल यानी सात अक्टूबर से आरंभ हो रहे हैं। इनका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु मत्स्य रूप धारण कर जल में निवास करते हैं। बोले भक्त रात में चंद्रमा का पूजन कर अर्ध्य दिया जाता और चन्द्रमा के सामने सुई मे धागा पिरोने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

    चंद्रमा को भोग लगाकर व उसी खीर को रात भर चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है। सुबह खाने से शरीर मे ऊर्जा मिलती है। अरुणा वार्ष्णेय सुबह से व्रत रखा जाता है। रात को जब चन्द्रमा निकलता है तो एक लोटे में दूध, सफेद फूल, चंदन, बताशा, दाल के साथ चंद्र देव को अर्ध्य दिया जाता है। दीपक जलाते हैं फिर खीर का भोग लगाकर खाकर व्रत खोला जाता है। सुमन वर्मा