रोहिंग्या के फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का अंदेशा, शातिर को पकड़ने के लिए एसटीएफ ने बनाया ये प्लान
फर्जी प्रमाणपत्र गिरोह के तार गुजरात-बंगाल से जुड़े, एसटीएफ को रोहिंग्या कनेक्शन का शक। टीम शातिरों तक पहुंचने में जुटी। डीएसपी प्रमेश शुक्ल के नेतृत्व में कार्रवाई; पकड़ा गया साजिद ने प्रमाणपत्र बनाने का तरीका बताया।

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह के तार गुजरात पश्चिम बंगाल से जुड़े होने से एसटीएफ को अंदेशा है कि कहीं रोहिंग्या के प्रमाणपत्र तो यहां नहीं बने। इसके पर्दाफाश के लिए टीम शातिरों तक पहुंचने में जुट गई है।
यह कार्रवाई एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक प्रमेश कुमार शुक्ल की अगुवाई में की गई। पकड़े गए आरोपित साजिद ने टीम को प्रमाण पत्र बनाने का तरीका भी बताया।
कहा, ग्राहक का फर्जी आधार बनाने अथवा नाम-पता बदलने के लिए सबसे पहले पोर्टल के माध्यम से आवश्यकतानुसार फर्जी जन्म/निवास प्रमाण पत्र तैयार करता है। उसके बाद कंप्यूटर पर एनीडेस्क के माध्यम से रिमोट आइडी वाट्सएप नंबर पर दिल्ली निवासी आकाश नाम के व्यक्ति को भेजता है। आकाश द्वारा उसके कंप्यूटर सिस्टम में डिपार्टमेंट आफ वीमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट उत्तराखंड को आवंटित आपरेटर से संबंधित आधार कार्ड के साफ्टवेयर की डेटा फाइल इंस्टाल कर देता है।
तैयार होता है फर्जी आधार कार्ड
यह डेटा फाइल (साफ्टवेयर) में संबंधित आपरेटर की आइडी, नाम, फोन नंबर व पासवर्ड डालने पर डैशबोर्ड प्रदर्शित होता है, जिसमें ग्राहक का विवरण डालकर आवश्यक प्रमाणपत्र अपलोड करने पर फर्जी आधार कार्ड तैयार होता है। नईमुद्दीन ने बताया कि वह अपना यूजर आइडी पासवर्ड डालकर फर्जी जन्म/मृत्यु आदि प्रमाण पत्र तैयार करता है। आधार कार्ड बनाने के लिए फिंगर प्रिंट व आईरिस स्कैनर का इस्तेमाल ग्राहक का बायोमीट्रिक डेटा कैप्चर करने में किया जाता है।
फर्जी वेबसाइट के माध्यम से काल्पनिक जन्मतिथि व निवास के आधार पर फर्जी प्रमाणपत्र तैयार करते हैं। प्रमाण पत्र तैयार करने में आवश्यक ग्राम प्रधान, पार्षद एवं राजपत्रित अधिकारी से संबंधित प्रमाण पत्र स्वयं तैयार करते हैं। आधार कार्ड बनाने के एवज में प्रति माह 50 हजार रुपये अधिकृत आपरेटर को देता है। दोनों के खिलाफ क्वार्सी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
ये हुआ बरामद
आरोपितों से 88 कूटरचित आधार कार्ड, दो फिंगर प्रिंट स्कैनर, तीन आईरिस स्कैनर, पांच फर्जी मोहर, चार लैपटाप, एक डेस्कटाप सहवर्ती उपकरण, तीन प्रिंटर, तीन माउस, की-बोर्ड, दो मोबाइल फोन, 2300 रुपये बरामद हुए हैं।

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