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    देश ही नहीं, दुनियाभर में बदले राइफल शूटिंग ड्रेस के मानक, इस बड़ी वजह से लिया गया फैसला

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 05:30 AM (IST)

    राइफल शूटिंग में अब खिलाड़ियों को हल्की और कम कसावट वाली ड्रेस पहनकर प्रशिक्षण और प्रतिस्पर्धा करनी होगी। पहले अधिक कसावट वाली पोशाक से पैर, हा ...और पढ़ें

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    गौरव दुबे, अलीगढ़। राइफल शूटिंग में अब देश ही नहीं, विश्वभर के निशानेबाजों को तैयारी हल्की व कम कसावट वाली ड्रेस पहनकर करनी होगी। अधिक कसावट वाली पोशाक निशानेबाजों को ज्यादा स्थिरता प्रदान करती है। पैर, हाथ, कंधे सभी अधिक स्थिर होने से वर्तमान में सटीक निशाना लगाकर अधिकतम स्कोर हासिल किया जा रहा है।

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    राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय व ओलिंपिक स्तर पर अधिक स्कोर आने का चलन देखते हुए इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन (आइएसएसएफ) ने शूटर्स की पोशाक में बदलाव करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में पत्र भी जारी कर दिया है। देश के निशानेबाजों को अगले साल एक जनवरी से ओलिंपिक, अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी नए बदलाव के साथ करनी होगी।

    किसी रोबोट से कम नहीं दिखते शूटर्स 

    वर्तमान पोशाक में चलते हुए शूटर्स किसी रोबोट से कम नहीं दिखते। घुटने, बाहें अधिक नहीं मुड़ती हैं। नेशनल राइफल एसोसिएशन आफ इंडिया के पदाधिकारियों का कहना है कि आइएसएसएफ की ओर से माना गया है कि बेहतर स्कोर किसी विशेष गैजेट्स या कपड़ों की बनावट से नहीं, बल्कि खिलाड़ी के टैलेंट से आने चाहिए।

    इस बदलाव के साथ राइफल शूटिंग करने में खिलाड़ियों की प्रतिभा और अधिक निखरेगी। क्योंकि उन्हें हाथ, पैर, कंधों पर खुद नियंत्रण रखने की प्रैक्टिस करनी होगी, फिर सटीक निशाना साधकर बेहतर परिणाम देना होगा। बदलाव के बाद निशानेबाज की जैकेट कंधे पर पहनने के बाद ढीली लटकी हुई होनी चाहिए।

    खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए किया जैकेट-पैंट की बनावट में बदलाव 

    जैकेट के साथ पैंट भी ऐसी होगी, जिसमें ब्लेड नहीं पड़ी होगी और अंगों को स्थिरता प्रदान नहीं कर सकेगी। इंटरनेशनल शूटर व कोच वेदप्रकाश शर्मा ने बताया कि जैकेट व पैंट की बनावट में बदलाव खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए किया गया है।

    ओलिंपिक हो या अन्य चैंपियनशिप, सभी में स्कोर काफी उच्च आ रहे थे। इसलिए बदलाव लाए गए हैं। नेशनल राइफल एसोसिएशन आफ इंडिया के महासचिव पवन कुमार सिंह के अनुसार निशानेबाजों में काबिलियत खुद के दम पर आए, किसी सहारे से नहीं। इसीलिए परिवर्तन लागू किया गया है।