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    एएमयू के मेडिकल कॉलेज में महिला की दुर्लभ सर्जरी, लिवर बचाने के लिए दिल से जोड़ीं आंतों की नसें

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 10:45 AM (IST)

    एटा की काजल बड-चियारी सिंड्रोम से पीड़ित थीं, जिससे लिवर से आंतों तक खून पहुंचाने वाली नसें अवरुद्ध हो जाती थीं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर।

    संतोष शर्मा, जागरण अलीगढ़। एटा के गंगानपुर की काजल छह माह से पेट दर्द, आंतों की सूजन से परेशान थीं। बार-बार खून की उल्टी होती। जांच में उन्हें बड-चियारी सिंड्रोम रोग से ग्रसित पाया गया। यह ऐसी बीमारी थी जिससे लिवर से आंतों तक खून पहुंचाने वाली नसें अवरुद्ध हो जाती हैं। नसों से खून निकलता। इससे मरीज का लिवर भी खराब हो सकता है।

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    अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने दुर्लभ सर्जरी कर आंतों को खून पहुंचाने वाली नशों को लिवर की जगह दिल से जोड़ दिया। आंतों अब सीधे दिल से खून की आपूर्ति होगी। जेएन मेडिकल कॉलेज में इस तरह की यह पहली सर्जरी है। यह सुविधा एम्स, दिल्ली और प्रदेश में लखनऊ में ही है।

    जेएन मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के चिकित्सकों को मिली कामयाबी


    मरीज काजल (22) को स्वजन ने सबसे पहले जेएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में एक माह पहले डॉ. हुसैनी एस हैदर मेहदी को दिखाया। मरीज ने बताया कि काफी दिनों में पेट में असहनीय दर्द है। इलाज से कोई लाभ नहीं हो रहा। खून की उल्टी भी होती हैं। भूख भी नहीं लगती। डॉ. हैदर ने एंडोस्कोपी की तो पता चला कि महिला को बड-चियारी सिंड्रोम है।

    डॉक्टर ने पाया कि आंतों में सूजन थी। यह सब लिवर से आंतों को जोड़ने वाली नशों के चलते हो रहा है, जिनसे आंतों को खून की आपूर्ति होती है। ये नसें बंद थीं। बंद नसों पर खून का दबाव पड़ने से लिवर पर प्रभावित होता है, खराब भी हो जाता है। पीलिया भी हो सकता है।


    बड-चियारी सिंड्रोम से ग्रसित थी महिला, खून की होती थीं उल्टी

    डॉ. हैदर ने महिला ने नसों में छल्ला डालकर आपरेशन की जरूरत बताते हुए सर्जरी और कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग में रेफर कर दिया। यहां चिकित्सकों ने जांच कर आपरेशन की सलाह दी। आपरेशन किसी चुनौती से कम नहीं था, क्योंकि इस तरह का आपरेशन अभी तक मेडिकल कालेज में हुआ भी नहीं था।

    पेट और हृदय रोग विशेषज्ञों को लगे चार घंटे

    कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के प्रो. आजम हसीन और सर्जरी विभाग के प्रो. सादिक अख्तर ने डॉ. आमिर और डॉ. श्यामयाल के साथ 13 दिसंबर को मरीज का ऑपरेशन किया। चार घंटे तक चले ऑपरेशन में लिवर से आंतों को जोड़ने वाली नशों को मिजो एट्रियल शंट (आर्टिफिशियल नस ) के जरिए दिल से जोड़ दिया। यही जटिल प्रक्रिया थी। 35 सेमी लंबी और 14 एमएम चौड़ी शंट लगाई गई। शंट के एक सिरे को आंतों की नशों से प्रो. सादिक अख्तर ने और दूसरे सिरे को दिल जोड़ने का काम प्रो. आजम हसीन व उनकी टीम ने किया। एनेस्थीसिया की कमान डा. नदीम रज़ा और उनकी टीम ने संभाली। मरीज को होश आने में दो घंटे लगे।


    इनका कहना है

    अभी तक यह सबसे दुर्लभ आपरेशन था, जो सफल रहा। वेस्ट में यह इस तरह का पहला आपरेशन हुआ है। अभी तक यह सुविधा एम्स और एसपीजीआइ, लखनऊ में ही है। प्राइवेट हॉस्पिटल में ऑपरेशन का खर्च पांच से छल लाख है। मेडिकल कॉलेज में मरीज के डेढ़ लाख ही खर्च हुए। शंट की कीमत ही सवा लाख के करीब है। ऑपरेशन न करने पर मरीज का लिवर खराब हो सकता था। प्रो. आजम हसीन, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग