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    Death anniversary : रामवृक्ष बेनीपुरी ने छोड़ी हिंदी प्रेमी के रूप में अपनी प्रतिभा की अमिट छाप

    By Anil KushwahaEdited By:
    Updated: Wed, 07 Sep 2022 03:40 PM (IST)

    Death anniversary महान विचारक चिंतक क्रांतिकारी साहित्‍यकार पत्रकार संपादक व हिंदी साहित्‍य के शुक्‍लोत्‍तर युग के प्रसिद्ध साहित्‍यकार एवं महान स्‍वतंत्रता सेनानी रामवृक्ष बेनीपुरी की पुण्‍यतिथि मनायी गयी। इस अवसर पर उनके छायाचित्र पर माल्‍यार्ण किया गया।

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    रामवृक्ष बेनीपुरी के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देते छात्र। सौजन्‍य : जागरण

    अलीगढ़, जागरण संवाददाता। Death anniversary : परोपकार सामाजिक सेवा संस्था तोछीगढ़ के तत्वावधान में Kela My Inter College Paharipur में भारत के महान विचारक, चिन्तक, क्रान्तिकारी साहित्यकार, पत्रकार, संपादक एवं Post-European Age of Hindi Literature के प्रसिद्ध साहित्यकार व महान स्वतंत्रता सेनानी और Social worker Ramvriksha Benipuri की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। छात्र-छात्राओं व शिक्षकों ने Ramvriksha Benipuri के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

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    युवा पीढ़ी के प्रेरणा स्रोत हैं रामवृक्ष बेनीपुरी : संस्था के अध्यक्ष जतन चौधरी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि रामवृक्ष बेनीपुरी ने हिंदी प्रेमी के रूप में अपनी प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ी है। राष्ट्र-निर्माण, समाज-संगठन और मानवता के जयगान को लक्ष्य मानकर बेनीपुरी ने निबंध, नाटक, उपन्यास, कहानी आदि विविध विधाओं में जो महान रचनाएंं प्रस्तुत की हैं, वे आज की युवा पीढ़ी के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं।

    बचपन से ही भाषा वाणी पर था कंट्रोल : रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 23 दिसंबर 1899 को मुजफ्फरपुर के बेनीपुर गांव के एक भूमिहर ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनकी भाषा-वाणी प्रभावशाली व उनका व्यक्तित्त्व आकर्षक एवं शौर्य की आभा से दीप्त था। मैट्रिक की परीक्षा पास करने से पहले ही 1920 में वे महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े थे। Indian freedom struggle के सक्रिय सेनानी के रूप में इन्होने 12 वर्ष जेल में काटे थे। वे केवल एक राजनीतिक पुरूष ही न थे, वरन् पक्के देशभक्त थे।

    1968 में वे दुनिया छोड़ गए : स्वाधीनता-प्राप्ति के पश्चात इन्होंने साहित्य-साधना के साथ-साथ देश और समाज के नवनिर्माण कार्य में अपने को जोड़े रखा। 7 सितंबर, 1968 को वे इस संसार से विदा हो गए। रामवृक्ष बेनीपुरी के सम्मान में भारत सरकार ने 1999 में एक डाक टिकट भी जारी किया था। उनके सम्मान में बिहार सरकार द्वारा प्रतिवर्ष अखिल भारतीय रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार भी दिया जाता है।

    कलम के सच्‍चे सिपाही थेे : विद्यालय के प्रधानाचार्य राजेन्द्र कौशिक ने कहा कि रामवृक्ष बेनीपुरी केवल एक साहित्यकार ही नहीं थे, बल्कि उनके भीतर वह आग थी जो कलम से निकल कर राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों को जन्म देती है, जो परंपराओं को तोड़ती है और मूल्यों पर प्रहार करती है, जो चिंतन को निर्भीक एवं कर्म को तेज बनाती है। इस अवसर पर कुलदीप कौशिक, शेलैन्द्र पाल सिंह, गुंजन, नीरू, सविता, माधुरी, रोशनी, रश्मि, अंकिता, चाॉदनी, धर्मवीर, रोहित, रवि, रियाज, पिंटू, प्रेमपाल, विकास आदि मौजूद रहे।

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