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    Aligarh News: रामवीर मुस्‍कराकर करा देते थे गंभीर मामलों का निस्‍तारण, पल भर में बना लेते थे अपना

    By Sandeep Kumar SaxenaEdited By:
    Updated: Sat, 03 Sep 2022 07:05 AM (IST)

    पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्‍याय भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं मगर उनकी कार्यशैली व सदव्‍यवहार लोगों को हमेशा याद रहेगा। वह बातों ही बातों में लोगों को अपना बना लेते थे। गंभीर मामलों का निस्‍तारण मुस्‍कराते हुए आसानी कर देते थे।

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    पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्‍याय की कार्यशैली व सदव्‍यवहार लोगों को हमेशा याद रहेगा।

    अलीगढ़, जेएनएन।  पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्‍याय भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, मगर उनकी कार्यशैली व सदव्‍यवहार लोगों को हमेशा याद रहेगा। वह बातों ही बातों में लोगों को अपना बना लेते थे। गंभीर मामलों का निस्‍तारण मुस्‍कराते हुए आसानी कर देते थे। 

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    गले मिलवाकर करवा देते थे समझौता

    बसपा सरकार में ऊर्जामंत्री रहते हुए Ramveer Upadhyay हाथरस व अलीगढ़ जनता दरबार में लगाते थे। कई बार गांव में मारपीट के ऐसेे मामले आते थे। जिसमें दो पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ  कार्रवाई कराने के लिए सिफारिश लेकर आते थे। अहम बात यह है कि दोनों ही पक्ष रामवीर उपाघ्‍याय के जानने वाले होते थे। इस तरह के मामलों में रामवीर उपाध्‍याय मुस्‍कराते हुए दोनों पक्षों को गले मिलवा कर समझौता करा देते थे। उनकी यह कार्यशैली लोगों को बेहद पंसद थी। 

    यह भी पढ़ें- Ramveer Upadhyay: जिंदगी की जंग हार गए रामवीर उपाध्याय, 14 महीने लड़ी बीमारी से जंग

    व्‍यवहार से Ramveer Upadhyay ने बनाई अलग पहचान 

    गुस्‍से में आए लोग जब रामवीर उपाध्याय का खिलखिलाता हुआ चेहरा देखतेे थे, तो वह शांत हो जाते थे। रामवीर ने अपने व्यवहार और काम से जनता के नेता के रूप में ऐसी पहचान बनाई कि कुछ सालों में ही राजनीति के शिखर पर छा गए। रामवीर का कार्य क्षेत्र भले ही हाथरस जिला रहा हो, लेकिन उनकी धमक  पश्चिमी उत्तर प्रदेश में थी। हाथरस के अलावा रामवीर Ramveer Upadhyay ने अलीगढ़, आगरा, बुलंदशहर, मथुरा, मेरठ, गाजियाबाद में अच्छी पकड़ बना ली थी।

    यह भी पढ़ें: Ramveer Uypadhay की पश्चिमी यूपी में ब्राह्मण नेता के रूप में थी धमक

    गाजियाबाद से आकर Ramveer Upadhyay ने  शुरू की राजनीति

    जनपद हाथरस  में मुरसान ब्लाक के गांव बामौली निवासी रामवीर राजनीति की ऊंचाइयों को छूने का मन बना चुके थे। तीन दशक पहले हाथरस, अलीगढ़ जनपद का ही भाग था। अलग-अलग बिरादरियों के नेता यहां अपने बर्चस्व को साबित करने में लगे हुए थे। उन दिनों हाथरस में ब्राह्मणों का बहुत मजबूत नेता नहीं था। वर्ष 1989 में हाथरस के रामवीर ने गाजियाबाद से आकर राजनीति में सक्रियता बढ़ाई।

    भाजपा के रथ पर सवार हुए थे Ramveer Upadhyay

    हाथरस की लेबर कालोनी में रहकर राम मंदिर की लहर के दौरान भाजपा के रथ पर सवार हुए। इसी बीच संघ में अच्छी पकड़ बनाने के लिए अपने पैतृक गांव बामौली में आरएसएस का ओटीसी कैंप लगवाया पर प्रयास कामयाब न हुए। 1993 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया। पार्टी की टिकट राजवीर पहलवान की मिलने के बाद रामवीर बागी हो गए।

    बसपा में रहा Ramveer Upadhyay का 25 साल का सफर

    1996 की शुरुआत में Ramveer Upadhyay बसपा के हाथी पर सवार हो गए और हाथरस सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। बसपा में रामवीर उपाध्याय का 25 वर्ष सफर रहा। के पास अहम जिम्मेदारियां रहीं। मायावती के वह करीबी रहे। 1996 में पहली बार हाथरस सदर से विधायक बनने के बाद 1997 में हाथरस को अलग जनपद का दर्जा दिलाने में रामवीर उपाध्याय की अहम भूमिका रही। इसके बाद से ब्राह्मण ही नहीं, बल्कि बसपा के कैडर वोट में भी उनकी पकड़ मजबूत हो गई।

    मोदी लहर में  भी बसपा से विधायक बने रामवीर

    बसपा सरकार में परिवहन और चिकित्सा शिक्षा, ग्रामीण समग्र विकास विभागों के मंत्री रहे। कई वर्ष ऊर्जा मंत्रालय भी संभाला। वर्ष 2002 और 2007 में हाथरस सदर, 2012 में सिकंदराराऊ और 2017 से वह सादाबाद से विधायक बने। बसपा ने उन्हें लोक लेखा समिति का सभापति भी बनाया। विधानमंडल दल में मुख्य सचेतक भी रहे। रामवीर उपाध्याय वर्ष 2017 में मोदी लहर में बसपा से सादाबाद सीट पर चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। भाजपा में शामिल होने के बाद वह विधानसभा चुनाव हार गए। दो सिंतबंर दिन शुक्रवार को 14 माह बीमारी से जंग लड़न के बाद रामवीर उपाध्‍याय जिंदगी की जंग भी हार गए।