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    एएमयू में फंगस से तैयार किए क्वांटम डॉट्स नैनो पार्टिकल्स, बायोलॉजिकल विधि से हुआ शोध

    एएमयू के इंटरडिसिप्लिनरी नैनो टेक्नोलॉजी सेंटर के प्रो. अबसार अहमद ने अपनी सहयोगी सादिया परवीन और एसके नजरूल इस्लाम के साथ यह सफलता पाई है। शोध टीम ने सदाबहार पौधे में पाए जाने वाले इंडोफिटिक फंगस और रुथेनियम क्लोराइड को एक साथ लिया। 12 घंटे की प्रक्रिया के बाद फंगस ने रुथेनियम क्लोराइड को रुथेनियम आक्साइड में बदल दिया। रुथेनियम आक्साइड ही क्वांटम डाट्स नैनो पार्टिक्लस हैं।

    By Jagran News Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 13 Feb 2024 05:47 PM (IST)
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    एएमयू में फंगस से तैयार किए क्वांटम डॉट्स नैनो पार्टिकल्स, बायोलॉजिकल विधि से हुआ शोध

    संतोष शर्मा, अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के विशेषज्ञों ने बायोलॉजिकल विधि से क्वांटम डॉट्स नैनो पार्टिकल्स बनाने में सफलता पाई है। सदाबहार पौधे के फंगस से ये नैनो पार्टिकल्स तैयार किए गए हैं। एक से 10 नैनो मीटर के ये पार्टिकल्स चमकीले और पानी में घुलनशील होते हैं। इनका इस्तेमाल इमेजिंग, डायग्नोस्टिक (रोग की पहचान करने) और थेरेपीटिक्स (दबा बनाने) में किया जा सकेगा। अंतरराष्ट्रीय पावर टेक्नोलॉजी जनरल में शोध प्रकाशित हो चुका है। पेटेंट भी कराया जा रहा है।

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    एएमयू के इंटरडिसिप्लिनरी नैनो टेक्नोलॉजी सेंटर के प्रो. अबसार अहमद ने अपनी सहयोगी सादिया परवीन और एसके नजरूल इस्लाम के साथ यह सफलता पाई है। शोध टीम ने सदाबहार पौधे में पाए जाने वाले इंडोफिटिक फंगस और रुथेनियम क्लोराइड को एक साथ लिया।

    12 घंटे की प्रक्रिया के बाद फंगस ने रुथेनियम क्लोराइड को रुथेनियम आक्साइड में बदल दिया। रुथेनियम आक्साइड ही क्वांटम डाट्स नैनो पार्टिक्लस हैं। जिसका साइज तीन नैनो मीटर है। ट्रांशमिशन इलेक्ट्रान मााइक्रोस्कोप, एक्सरे डिफरेक्शन और एक्सरेफोटो स्पेक्ट्रोस्कोपी (एक्सपीएस) से इसकी पुष्टि भी की गई है।

    पहली बार बायोलॉजिकल विधि

    बायोलाजिकल सिंथेसिस आफ इन आर्गेनिक नैनो मेटेरियल के जनक कहे जाने वाले प्रो. अबसार अहमद ने बताया कि दुनिया में पहली बार उन्होंने बायोलोजिकल विधि से क्वांटम डाट्स नैनो पार्टिकल्स तैयार किए हैं। फिजिकल और केमिकल विधि से भी इन्हें तैयार किया जा सकता है।

    बायोलॉजिकल विधि से बनाए जाने वाले नैनो पार्टिकल्स नॉन टॉक्सिक होते हैं। आपस में बनते बिगड़ते नहीं हैं। प्रोटीन भरपूर होती है। सस्ते होने के साथ अधिक मात्रा में बनाए जा सकते हैं। जबकि फिजिकल विधि से बनाए जाने वाले नैनो पार्टिकल्स हानिकारक होते हैं। वातावरण के अनुकूल नहीं होते। आपस में मिलकर बड़े पार्टिकल्स बना लेते हैं। बनते भी मुश्किल से हैं ।

    क्वांटम डाट्स और महत्व

    क्वांटम डाट्स कृत्रिम नैनो संरचनाएं हैं। पराबैंगनी प्रकाश जब इन अर्द्धचालक नैनो-कणों से टकराता है, तो इनके द्वारा विभिन्न रंगों के प्रकाश का उत्सर्जन किया जाता है। एकल अणु के स्तर पर ये कोशिकीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करने में सक्षम हैं। आज के दौर में क्वांटम डाट्स का महत्व बढ़ गया है। कैंसर जैसे रोगों के निदान और उपचार में भी ये सहायक हो सकते हैं।

    इस साल का नोबल पुरस्कार रायल स्वीडिश एकेडमी आफ साइंसेज़ ने क्वांटम डाट्स के अभूतपूर्व आविष्कार और संश्लेषण के लिए मौंगी जी बावेंडी, लुईस ई ब्रूस तथा एलेक्सी आई एकिमोव को रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया है।