Pradhan Mantri Jan Aushadhi Kendra: रोगियों को चाहिए जेनरिक दवा, चिकित्सकों को ब्रांडेड ही पसंद
Pradhan Mantri Jan Aushadhi Kendraमहंगाई से त्रस्त रोगियों का दर्द सस्ती दवा से कम हो सकता है। लेकिन चिकित्सक ही जेनरिक दवा का नाम भूल गए हैं। रोगियों को केवल ब्रांडेड दवा खिलाई जा रही हैं। इससे जन औषधि केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहता है।

अलीगढ़,विनोद भारती। Pradhan Mantri Jan Aushadhi Kendra कुलांचे मारती महंगाई से त्रस्त रोगियों का दर्द सस्ती दवा से कम हो सकता है। लेकिन चिकित्सक ही जेनरिक दवा का नाम भूल गए हैं। रोगियों को केवल ब्रांडेड दवा खिलाई जा रही हैं। इससे जन औषधि केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहता है।सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक भी ब्रांडेड दवा लिखने में पीछे नहीं। रोगियों को पांच रुपये की दवा 50 रुपये, 10 रुपये की दवा 150 रुपये में खरीदनी पड़ रही है।
जन औषधि केंद्र में आयुर्वेदिक-यूनानी दवा
दीनदयाल अस्पताल स्थित जन औषधि केंद्र पर जेनरिक दवा से ज्यादा भंडार आयुर्वेदिक-यूनानी दवा का है। संचालक अमन ने बताया कि सरकारी चिकित्सक केवल खानापूरी के लिए ही जेनरिक दवा लिखते हैं। ब्रांडेड दवा के पर्चे तो बाहर भेज दिए जाते हैं। इसलिए हम अधिक दवा नहीं मंगाते। यदि चिकित्सक दवा लिखें तो हमारा कारोबार तो बढ़ेगा ही, रोगियों को भी लाभ होगा।
साल्ट पता करके दवा की बिक्री
मीनाक्षी पुल स्थित जन औषधि केंद्र के संचालक राकेश शर्मा ने बताया कि रोगी हमारे पास ब्रांडेड दवा के रेपर या पर्चे लेकर आते हैं। उन्हें साल्ट पता करके जेनरिक दवा देते हैं। पुराने रोगी को साल्ट पता होता है, इसलिए परेशानी नहीं होती। कुछ रोगी यह कहते हुए दवा लौटाने आते हैं कि डाक्टर साहब ने पर्चे की दवा न खरीदने पर उपचार बंद करने की हिदायत दी है। कई चिकित्सक कोड वर्ड में दवा लिखते हैं, जिससे साल्ट का नाम ही न मालूम हो सके। मेडिकल काउंसलिंग आफ इंडिया की अक्टूबर 2016 की अधिसूचना में स्पष्ट है कि चिकित्सक दवा का जेनरिक नेम केपिटल लैटर्स में स्पष्ट लिखें।
हास्पिटल में ही खुले मेडिकल स्टोर
फीस के अलावा दवा से भी मुनाफा कमाने के लिए अधिकतर निजी क्लीनिक व हास्पिटल्स में ही मेडिकल स्टोर खुले हैं। जबकि, मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने इस पर रोक लगाई है।
पीड़ितों के बोल
जिला अस्पताल में मेरी मौसी का आपरेशन (रसौली) होना है। एक कर्मचारी यह कहते हुए दवा की पर्ची थमाकर चला गया है कि बाहर स्टोर से खरीद लो। 850 की दवा आई।
- संतोष, भुकरावली।
मुझे काफी समय से लिवर में सूजन व अन्य शिकायत है। दीनदयाल अस्पताल की ओपीडी में जांच कराई। कुछ दवा तो अस्पताल से मिल गईं। एक दवा बाहर की लिखी है।
- लता, देहली फरीदपुर।
मुझे शुगर व लिवर में शिकायत है। लिवलेक्ट नाम की आयुर्वेदिक दवा बाहर की लिखी है। जन औषधि केंद्र पर 167 रुपये में मिली। जबकि, यहां केवल जेनरिक दवा बिक सकती है।
- राजेंद्र, धनीपुर।
मुझे कमजोरी व अन्य समस्या हैं। 10 नंबर की डाक्टर साहब ने दवा व सीरप लिखा। दवा तो अस्पताल के काउंटर से मिल गईं। लेकिन, सीरप बाहर से 120 रुपये में खरीदा है।
- मंजू देवी, कल्याणपुर।
चिकित्सकों को लगातार निर्देशित किया जा रहा है कि वे बाहर की दवा न लिखें। कुछ ऐसी दवा भी होती हैं, जो हमारे स्टोर या जन औषधि केंद्र पर भी नहीं होती तो डाक्टर की मजबूरी होती है।
- डा. ईश्वर देवी बत्रा, सीएमएस जिला अस्पताल।
चिकित्सकों को स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि वे बाहर की दवा बिल्कुल न लिखें। इसका असर दिखा है। यदि कोई रोगी आकर शिकायत करेगा तो जांच कर कार्रवाई होगी। जन औषधि केंद्र की जांच शुरू करा दी है।
- डा. अनुपम भास्कर, सीएमएस दीदनयाल अस्पताल।
एमसीए ने जेनरिक या साल्ट नेम को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं, ब्रांडेड लिखने पर रोक नहीं है। कई बार रोगी खुद ब्रांडेड दवा लिखने पर जोर देता है। फिर भी सरकार की मंशा के अनुसार जेनरिक को प्रोत्साहित करना होगा। आइएमए की अगली बैठक में इस पर चर्चा की जाएगी।
- डा. जयंत शर्मा, अध्यक्ष इंडिया मेडिकल एसोसिए, अलीगढ़।
जागरण इम्पैक्ट
दैनिक जागरण ने प्रधानमंत्री जन औषधि औषधि केंद्रों पर व्याप्त अनियमितता की खबर को गुरुवार के अंक में ‘जन औषधि केंद्रों पर दवा ही नहीं, फार्मासिस्ट तक नदारद’ शीर्षक से प्रमुखता से प्रकाशित किया। खबर छपने पर जिला अस्पताल की सीएमएस डा. ईश्वर देवी बत्रा ने जन औषधि केंद्र का निरीक्षण कर स्टाक चेक किया। संचालक को स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी सूरत में ब्रांडेड या अन्य दवा नहीं बिकनी चाहिए। बाहर की कोई दवा नहीं मिल पाई।
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