सियासत : लुभाने के लिए शायरी का लिया सहारा, कुछ इस तरह रहा सबका अलग-अलग अंदाज
UP Chunav 2022 दस फरवरी को अलीगढ़ में होने वाले चुनाव के लिए प्रत्याशी और समथ्रकों ने अलग- अलग अंदाज में वोट मांगे। खास बात यह रही कि प्रत्याशियों ने शायरी व कविताएं सुनाकर वोट मांगे। सपा कांग्रेस व बसपा प्रत्याशियों ने शायरी की।

अलीगढ़, विनोद भारती।UP Vidhan Sabha Chunav 2022 चुनावों के मौसम में राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए खूब वायदें करती हैं, तो लुभावने नारों के जरिए भी जोश भरती हैं। अब तक ऐसा कोई चुनाव नहीं रहा, जिसमें मतदाताओं को रिझाने के लिए सियासत ने शायरी की पनाह न ली हो। इस चुनाव में भी नेताओं के मुंह से खूब शायरी फूट रही है। नेता बड़े-बड़े शायरों-कवियों की शेर-कविता सुनाकर जनता जनार्दन में जोश तो भर ही रहे हैं, विपक्षियों पर खूब हमला कर रहे हैं। किस राजनेता व पार्टी से मतदाता प्रभावित हुए, यह तो बाद में पता चलेगा। बहरहाल, 10 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए नेताओं ने खूब शेर-ओ-शायरी की है। आइए, नेताओं के कहे कुछ प्रमुख शेर देखें...
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ भी चल देंगे, रास्ता हो जाएगा, यह शेर सपा-रालोद गठबंधन के एक प्रत्याशी की जनसभा में जरूर सुनने को मिल रहा है। इससे वे वे प्रतिद्वंद्वी पार्टी के खिलाफ समर्थकों व मतदाताओं को आगे आने के लिए प्रेरित करते हैं।
कांग्रेस के एक प्रत्याशी सुनाते हैं-कोई झूठों की टोली में, कोई महफिल में बैठा है। कोई दौलत के मद में, ख्वाब की झिलमिल में बैठा है। वो करके पैतरेबाजी है खुश फिर जीत जाएंगे, पता उनको नहीं, हम शहर के दिल में हैं।
अगला शेर गजलकार दुष्यंत कुमार का है, जिसे हर दल और प्रत्याशी गाहे-बगाहे जरूर भाषण के दौरान बोलता है। शेर देखिए-कौन कहता है आसमान में छेद नहीं हो सकता है, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। इस शेर को सुनते ही जनसभा में जोश भर जाता है।
बसपा के नेताजी, भाजपा पर तंज कसते हैं-तुझको देखा तेरे वादे देखे, अच्छी दीवार लंबे साए से। इस शेर के जरिए वे जनता को रिझाने का पूरा प्रयास करते दिखते हैं।
सपा-रालोद गठबंधन के एक नेता अपने भाषण में कहते हैं-सुना है आज समुंदर को बड़ा गुमान आया है, उधर ही ले चलो कश्ती, जहां तूफान आया है। यह सुनते ही सभा में तलियां गूंज जाती हैं।
कुछ अन्य चुनिंदा शेर व कविता
- सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
- हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
-तू न थकेगा कभी। तू न थमेगा कभी।
तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ।
अग्निपथ...अग्निपथ...अग्निपथ।
- कच्चे मकान जिनके जले थे फसाद में, अफसोस उनका नाम ही बलवाइयों में था।
- मंजिल उनको मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।
- ढूंढ़ लेना अंधेरों में मंजिल अपनी, जुगनू कभी रोशनी के मोहताज नहीं होते।
नेता पब्लिक का उत्साह बढ़ाने के लिए भाषण के बीच सियासी शेर बोल दिए जाते हैं, जिन पर खूब तालियां बजती हैं, वाह-वाह होती है। वहीं, जो बात नेता बहुत देर तक स्पीच देकर समझाने की कोशिश करता है, मात्र एक शेर के जरिए जनता को प्रभावपूर्ण तरीके से समझाने में सफल हो जाता है। इसलिए सियासत में शायरी का इस्तेमाल हमेशा होता आया है और आगे भी होता रहेगा।
- डा. रेहाना शाहीन, प्रसिद्ध शायरा अलीगढ़।

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