Padma Shri To Prof Najma Akhtar: प्रो नजमा अख्तर राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री से सम्मानित, प्रो नजमा ने एएमयू में किया था फतवे का सामना
Padma Shri To Jamia Vice Chancellor लम्बे संघर्ष के बाद दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (JMI) की कुलपति प्रो नजमा अख्तर निरंतर कामयाबी के कदम चूम रहीं हैं। शिक्षाविद् प्रो नजमा अख्तर की सफलता में एएमयू की अहम भूमिका रही है।
अलीगढ़, संदीप सक्सेना । Padma Shri To Jamia Vice Chancellor लम्बे संघर्ष के बाद दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (JMI) की कुलपति प्रो नजमा अख्तर निरंतर कामयाबी के कदम चूम रहीं हैं।सोमवार को प्रोफेसर नजमा अख्तर को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री प्रो नजमा अख्तर ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से लिया। खास बात यह है कि शिक्षाविद् प्रो नजमा अख्तर की सफलता में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ( एएमयू) की अहम भूमिका रही है। उनके संघर्ष की शुरूआत एएमयू से ही हुई थी।
एएमयू में किया था फतवे का सामना
एएमयू में कंट्रोलर आफ एडमिशन एंड एग्जामिनेशन के लिए ऑल इंडिया सेलेक्शन के जरिए प्रो नजमा अख्तर का चयन हुआ था। उस समय तक न केवल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, बल्कि देश की अन्य किसी भी यूनिवर्सिटी में इस पद पर किसी महिला का चयन नहीं हुआ था। यह एएमयू के लिए नई बात थी। लिहाजा, प्राेे अख्तर के खिलाफ एक फतवा जारी किया गया कि कोई महिला एडमिनिस्ट्रेशन के शीर्ष पद पर नहीं रह सकती, क्योंकि इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है। इस फतवे के खिलाफ उस समय के डीन फैकेल्टी सामने आए और उन्होंने नया फतवा जारी कर प्राेे नजमा की राह आसान की।
ऑप्टिकल मार्क रीडर की एएमयू से हुई थी शुरूआत
ऑप्टिकल मार्क रीडर का इस्तेमाल उस समय कुछ खास प्रतियोगी परीक्षाओं में ही किया जा रहा था। उस दौरान किसी यूनिवर्सिटी ने नहीं सोचा था कि ऑप्टिकल मार्क रीडर के जरिए एडमिशन और एग्जामिनेशन भी हो सकते हैं। 1990 में सफलतापूर्वक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पहली बार लागू किया गया। एएमयू में सफलता के बाद देश की कई अन्य यूनिवर्सिटीज ने एएमयू की तर्ज पर मार्क रीडर को अपने एडमिशन को लागू किया। आज यह व्यवस्था पूरे देश में लागू है। एएमयू के बाद प्राेे नजमा अहम पदों पर रहीं। बाद में जामिया मिल्लिया इस्लामिया को पहली बार महिला वाइस चांसलर बनीं।
एमएससी बॉटनी की गोल्ड मेडलिस्ट हैं प्रो नजमा
प्रो. नजमा अख्तर ने एजुकेशन में ए कम्पेरेटिव स्टडी ऑन कन्वेंशनल एंड डिस्टेंस एजुकेशन सिस्टम ऑफ़ हायर एजुकेशन विषय पर पीएचडी की है। वह एमए एजुकेशन और एमएससी बॉटनी की गोल्ड मेडलिस्ट हैं। उन्होंने प्रोफेसर के रूप में काम किया है। राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय (एनयूईपीए), नई दिल्ली में डिपार्टमेंट ऑफ़ ट्रेनिंग एंड कैपसिटी बिल्डिंग इन एजुकेशनल की अध्यक्ष भी रहीं। उन्होंने इग्नू, नई दिल्ली में डिस्टेंस एजुकेशन प्रोग्राम में सेवाएं दीं और तत्कालीन इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान की संस्थापक निदेशक रहीं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में एक्ज़ामिनेशन और एडमिशन कंट्रोलर के प्रतिष्ठित पद के अलावा उन्होंने डायरेक्टर एकेडमिक प्रोग्राम्स का पद भी संभाला।
अहम जिम्मेदारियां सफलता पूर्वक निभाईं
प्रो. अख्तर मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद, दिल्ली विश्वविद्यालय, असम विश्वविद्यालय और जामिया की चयन समिति और कार्यकारी समिति में विजिटर नॉमिनी रही हैं।
- आईआईटी दिल्ली सीनेट स्पीकर; यूनिवर्सिटी काउंसिल क्लस्टर यूनिवर्सिटी, श्रीनगर की सदस्य और गवर्निंग काउंसिल, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज की सदस्य भी रही हैं।
- दिल्ली पब्लिक स्कूल की प्रबंधन समिति की सदस्य बनीं।
- कश्मीर विश्वविद्यालय कुलपति नियुक्ति सर्च कमेटी की सदस्य रहीं हैं।
- भारतीय सामाजिक विज्ञान अकादमी की राष्ट्रीय शैक्षणिक सलाहकार समिति की सदस्य बनीं
- एनईपी- 2020 विशेषज्ञ समूह की सदस्य बनने का गौरव प्राप्त है।
- बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड एम्पावरमेंट कमेटी की सदस्य बनीं।
- रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति की सदस्य रहीं।
- शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की राष्ट्रीय संचालन समिति की सदस्य बनीं।
- प्रबंधन बोर्ड, जामिया हमदर्द, दिल्ली की सदस्य रहीं।
- भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), नई दिल्ली जनरल असेम्बली की सदस्य लम्बे समय तक रहीं।
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