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    आदेश बन गया इंटरनेट मीडिया पर बहस का मुद्दा, जानिए मामला Aligarh News

    By Sandeep Kumar SaxenaEdited By:
    Updated: Sat, 20 Mar 2021 05:48 PM (IST)

    अपने विचार रखने व अपनी अभिव्यक्ति साझा करने का जरिया पहले से ही बना रखा है। इसी इंटरनेट मीडिया पर जब शासन या शिक्षा बोर्ड की ओर से कोई आदेश साझा किया जाता है तो वो छात्रवर्ग के साथ शिक्षक वर्ग के लिए भी कौतूहल बनने लगा है।

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    अपने विचार रखने व अपनी अभिव्यक्ति साझा करने का जरिया पहले से ही बना रखा है।

    अलीगढ़, जेएनएन। इंटरनेट मीडिया को लोगों ने बहस करने, अपने विचार रखने व अपनी अभिव्यक्ति साझा करने का जरिया पहले से ही बना रखा है। इसी इंटरनेट मीडिया पर जब शासन या शिक्षा बोर्ड की ओर से कोई आदेश साझा किया जाता है तो वो छात्रवर्ग के साथ शिक्षक वर्ग के लिए भी कौतूहल बनने लगा है। पहले अवकाश आदि के फरमान से विद्यार्थियों में उत्साह व जागरूकता की होड़ मचती थी। अब समय बदल गया है ऐसे आदेशों पर शिक्षकों में आपसी बहस छिड़ जाती है। ऐसी ही बहस इंटरनेट मीडिया पर शुक्रवार व शनिवार को भी छिड़ी रही।

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    बिहार का मैसेज हो रहा वायरल

    कोरोना संक्रमण के केस बढ़ने लगे हैं। इसके चलते कोई लाकडाउन लगने की अफवाह उड़ा रहा है तो कोई स्कूल-कालेजों को बंद करने की मनगढ़ंत बातें उड़ा रहा है। ऐसे में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से अवकाश की घोषणा करने वाला पत्र इंटरनेट मीडिया खासकर शिक्षकों के ग्रुप में वायरल हो रहा है। हालांकि कुछ शिक्षक इस पत्र को ही कूटरचित करार दे रहे हैं। कुछ इसको फर्जी व पुराना पत्र बता रहे हैं। पत्र में लिखा है कि कोरोना संक्रमण बढ़ने के चलते 19 मार्च 2021 से सरकारी व गैर सरकारी सभी स्कूल-कालेज बंद किए जाने का निर्णय किया गया है। ये 15 अप्रैल 2021 तक बंद रहेंगे। मगर तमाम शिक्षकों ने जिले में स्कूल-कालेज बंद करने व इस संबंध में अफसरों के संज्ञान लेने के लिए आवाज उठानी भी शुरू कर दीं। शिक्षकों में इंटरनेट मीडिया पर ही बहस छिड़ी है कि किसी पत्र की बिना सत्यता जाने मांग उठाना सही नहीं है। तो जवाब लिखे जा रहे हैं कि इसमें बुराई ही क्या है?

    कोरोना का खौफ

    कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है तो स्कूल-कालेज बंद कर दिए जाएं। कोई शिक्षक लिख रहे हैं कि आपको बच्चों के भविष्य की नहीं अपने आराम की चिंता है। हालांकि जब अफसरों से इस पत्र के बारे में जानकारी की गई तो उन्होंने कहा कि अवकाश करने या संस्थान बंद करने के संबंध में बोर्ड या शासन से कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। आधुनिकता के दौर में किसी भी पत्र को छेड़छाड़ कर कुछ भी दर्शाया जा सकता है। डीआइओएस डा. धर्मेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि स्कूल-कालेज बंद करने के संबंध में शासन या बोर्ड से कोई निर्देश नहीं हैं। अगर किसी ने अपनी मर्जी से संस्थान बंद रखा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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