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    विशेष तकनीक से कैंसर युक्त यूरिनरी ब्लाडर का आपरेशन, महिला को दी नई जिंदगी

    By Sandeep Kumar SaxenaEdited By:
    Updated: Tue, 08 Feb 2022 05:48 PM (IST)

    यूपी के किसी प्राइवेट अस्पताल में अपनी तरह की पहली सर्जरी हुई है जिसमें डाक्टरों ने शल्यक्रिया के बिना यूरिनरी ब्लाडर को सफलतापूर्वक निकाल लिया। यह आ ...और पढ़ें

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    मैक्स इंस्टीट्यूट आफ कैंसर केयर में महिला को दी नई जिंदगी।

    अलीगढ़, जागरण संवाददाता। काफी खतरनाक प्रकार के यूरिनरी ब्लाडर कैंसर के ग्रस्त रोगियों को आपरेशन की काफी जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। देरी होने पर कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने का खतरा रहता है। लेकिन, अत्याधुनिक तकनीकी कैंसर रोगियों का उपचार आसान बना रही है। अब रोबोट की मदद से कैंसर युक्त यूरिनरी ब्लाडर कैंसर को निकालने में डाक्टरों को सफलता मिली है। मैक्स इंस्टीट्यूट आफ कैंसर केयर, वैशाली के डाक्टरों ने अलीगढ़ की 58 वर्षीय महिला का सफल इलाज कर उसकी जान बचाई है।

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    निजी अस्‍पताल की पहली सर्जरी

    रामघाट रोड स्थित होटल में वर्चुअल मीटिंग के दौरान मैक्स इंस्टीट्यूट आफ कैंसर केयर की यूरोलाजिक आंकोलाजी एंड रोबोटिक्स के प्रमुख कंसल्टेंट डा. पुनीत अहलूवालिया ने बताया कि उत्तर प्रदेश के किसी निजी अस्पताल में यह अपनी तरह की पहली सर्जरी थी, जिसमें डाक्टरों ने शल्यक्रिया के बिना यूरिनरी ब्लाडर सफलतापूर्वक निकाल लिया और कृत्रिम यूरिनरी का मार्ग बनाया। इसके लिए एडवांस्ड रोबोट दा विंशी का इस्तेमाल किया गया। मरीज को यूरिनरी ब्लाडर में कैंसर का पता चला तो उसकी संपूर्ण जांच कराई गई और पाया गया कि उसका कैंसर ब्लाडर तक ही सीमित था और शरीर के अन्य हिस्सों में अभी नहीं फैला था। कैंसर के आक्रामक वैरिएंट और ब्लाडर तक ही अभी सीमित रहने की स्थिति को देखते हुए मरीज के लिए सर्जरी कराना ही सर्वश्रेष्ठ विकल्प था जिसके जरिये यूरिनरी ब्लाडर तथा लिंफ नोड्स निकाला जाना था और मरीज की छोटी आंत का इस्तेमाल करते हुए पेशाब निकासी का नया मार्ग बनाना था।

    सर्जरी करने से मिली सफलता

    संपूर्ण सर्जरी पेट की बड़ी शल्यक्रिया के बगैर रोबोटिक पोर्ट (सिर्फ 8 एमएम का कट) से पूरी की गई। इसके बाद रोबोटिक उपकरणों (टोटल इंट्राकार्पोरियल यूरिनरी डायवर्जन) के इस्तेमाल से मूत्रमार्ग बनाया गया और मरीज को कोई और कट नहीं लगने के लिए इसका स्वरूप बचा लिया गया। इससे रोबोटिक सर्जरी का असाधारण लाभ मिला और घाव से संक्रमण की संभावना भी नहीं रही। रोबोट की मदद से हम कोई बड़ा कट लगाए बगैर सर्जरी करने में सफल हो पाए जिस कारण आॅपरेशन के बाद जख्म से होने वाले संक्रमण, पेट फूलना और हर्निया बनने की नौबत ही नहीं आई।'

    ग्लोबाकैन इंडिया की फैक्टशीट 2020 के हालिया आंकड़े बताते हैं कि 2020 में ब्लाडर कैंसर के मामले पूर्ववर्ती वर्ष के मुकाबले करीब 13 फीसदी बढ़े हैं और इसके नए मामले 21096 हो गए। वर्ष 2018 में जहां इससे होने वाली मृत्यु 5129 थी वहीं 2020 में दोगुना होकर 11154 पहुंच गई।

    परंपरागत सर्जरी से कम खतरनाक

    मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हास्पिटल वैशाली में आपरेशंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. गौरव अग्रवाल ने कहा, 'मैक्स इंस्टीट्यूट आफ कैंसर केयर में हम हमेशा सर्जरी को सुरक्षित और किफायती बनाने के लिए तकनीकों और टेक्नोलॉजी उन्नत करने पर काम करते हैं। अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी दा विन्सी शी रोबोट से लैस हमारे सर्जन कंप्यूटर निर्देशित, मैग्नीफाइड, 3डी विजुअलाइजेशन का इस्तेमाल करते हुए जटिल सर्जरी करने में सक्षम होंगे और इसके परिणाम शानदार होंगे। परंपरागत सर्जरी के मुकाबले यह कम खतरनाक होती है। इससे न सिर्फ मरीज को कम समय में रिकवरी मिल जाती है, बल्कि सर्जरी के बाद उसके जीवन की गुणवत्ता में भी व्यापक सुधार होता है।