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    आजाद हिंद फौज के महिला विंग की सिपाही नीरा थी भारत की पहली जासूस Aligarh news

    By Anil KushwahaEdited By:
    Updated: Fri, 05 Mar 2021 02:40 PM (IST)

    परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा गांव तोछीगढ़ में आजाद हिंद फौज की महिला विंग रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट की सिपाही भारत की पहली जासूस नीरा आर्य की 119 वीं जयंती मनाई गई। ग्रामीण बालिकाओं और संस्था के सदस्यों ने क्रांतिकारी नीरा आर्य के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

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    ग्रामीणों और संस्था के सदस्यों ने क्रांतिकारी नीरा आर्य के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

    अलीगढ़, जेएनएन : परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा गांव तोछीगढ़ में आजाद हिंद फौज की महिला विंग "रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट" की सिपाही भारत की पहली जासूस नीरा आर्य की 119 वीं जयंती मनाई गई। ग्रामीण बालिकाओं और संस्था के सदस्यों ने क्रांतिकारी नीरा आर्य के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

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    बागपत में पैदा हुई थी नीरा

    संस्था के अध्यक्ष जतन चौधरी ने कहा कि नीरा आर्य का जन्म 5 मार्च 1902 को बागपत के खेकड़ा नगर में हुआ था। इनके माता-पिता की मृत्यु के बाद इनको हरियाणा के दानवीर चौधरी सेठ छज्जूमल लाम्बा (छाजूराम) ने गोद ले लिया। उनके कलकत्ता में विश्वप्रसिद्ध व्यापार था। नीरा व इनके भाई बसन्त ने सेठ को अपना धर्मपिता स्वीकार किया। उनकी पढ़ाई लिखाई कलकत्ता में ही हुई। सेठ के प्रभाव से ही आर्य समाजी बन गई। इन्हें बचपन में वीर भगत सिंह से भी मिलने का मौका मिला जब वे चौधरी साहब के पास अंग्रेजों से बचने के लिए कई दिनों तक रुके थे। सुशीला भाभी से इन्हें पढ़ने का मौका मिला। 

    डूबने से बची थीं

    एक बार बचपन में समुद्र के किनारे घूमने गई हुई नीरा लहरों की चपेट में आ गई और डूबने वाली थी तभी एक दूसरे बच्चे ने उसे बचा लिया। वह बच्चा कोई और नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस थे। उन्होने नेताजी को अपना भाई स्वीकार किया। बड़े होकर अपने धर्मपिता सेठ छज्जूमल के आदर्शों के कारण देशभक्ति कूट कूटकर भरी हुई थी इसलिए नेताजी की आजाद हिंद फौज में शामिल हुई और देश की पहली जासूस होने का गौरव प्राप्त किया। इन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अंग्रेजी सेना में अफसर अपने बंगाली पति श्रीकांत जयरंजन दास की हत्या कर दी थी। पति को मारने के कारण ही नेताजी ने उन्हें नागिनी कहा था। आजाद हिन्द फौज के समर्पण के बाद जब दिल्ली के लाल किले में मुकदमा चला तो सभी बंदी सैनिकों को छोड़ दिया गया, लेकिन इन्हें पति की हत्या के आरोप में काले पानी की सजा हुई थी। जहां इन्हें घोर यातनाएं दी गई। आजादी के बाद इन्होंने फूल बेचकर जीवन यापन किया, लेकिन कोई भी सरकारी सहायता या पेंशन स्वीकार नहीं की। इनके भाई बसंत कुमार भी स्वतंत्रता सेनानी थे, जो आजादी के बाद संन्यासी बन गए थे। कवियत्री राधा चौधरी ने इनकी आत्मकथा का एक ह्रदयद्रावक अंश प्रस्तुत किया।

     

    देशहित में काम करने का लिया संकल्‍प

    सभी बालिकाओं ने नीरा आर्य के जीवन से प्रेरणा लेकर सदैव देश हित में कार्य करने का संकल्प लिया।

    कार्यक्रम की अध्यक्षता गंगासहाय शर्मा व संचालन भानू प्रताप ठैनुआं ने किया। इस मौके पर मंजू त्रिपाठी, दीपक शर्मा, सोनिया चौधरी, रूबी दिवाकर, मूलचंद्र शर्मा, कन्हैयालाल शर्मा, मुकेश, जितेंद्र कुमार, कुंवरसाब,  रेखा, खुशी, खुशबू, आरती, चंचल, गुंजन, शिवा, हिना, सिद्धार्थ, वरुण उपाध्याय, साधना, सूरज आदि मौजूद रहे।