नवरात्र कल से, पथवारी मंदिर में मास्क लगाकर मिलेगा प्रवेश, नहीं लगेगा मेला Aligarh news
पूजा व व्रत के लिए सामान की खरीदारी की जा रही है। मंदिरों में भीड़ को नियंत्रित करने और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित कराने के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इस बार मेला नहीं लगेगा। नवरात्रि पर्व 21 अप्रैल तक चलेगा।

अलीगढ़, जेएनएन : मंगलवार से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र की तैयारियां तेज हो गई हैं। घर व मंदिरों में शक्ति की आराधना के लिए श्रद्धालु तैयारियों में जुट गए है। पूजा व व्रत के लिए सामान की खरीदारी की जा रही है। मंदिरों में भीड़ को नियंत्रित करने और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित कराने के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इस बार मेला नहीं लगेगा। नवरात्र पर्व 21 अप्रैल तक चलेगा।
नवरात्र का पहला दिन होता है खास
मान्यता है कि नवरात्र में देवी के नो स्वरूपों की पूजा अर्चना करने से भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण होते है। घरों में धनधान्य और खुशहाली आती है। इसी मान्यता के चलते चैत्र नवरात्र में देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना करने के साथ-साथ श्रद्धालु व्रत भी रखते है। पहला दिन काफी खास होता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में विधि विधान से कलश स्थापित कर माता की पूजा की जाती है। इगलास नगर में नवरात्र को देखते हुए मइया की मूर्तियां, चुनरी, पूजा के सामान आदि की दुकाने सजी हुई हैं। भक्तों द्वारा खरीदारी भी की जा रही है। दुकानदार संदीप बंसल (बाबा) ने बताया कि नवरात्र को लेकर श्रद्धालु खरीदारी करने आ रहे हैं। बाजार में पांच से लेकर 500 रुपये तक की चुनरी उपलब्ध है। मैया के श्रंगार के साथ खटोला की खूब मांग हो रही है। मैया के श्रंगार के लिए आंखे निश्शुल्क हैं।
नौ स्वरूपों की पूजा
नवरात्र के नौ दिन देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा का विधान है। पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
पथवारी मंदिर पर नहीं लगेगा मेला
नवरात्र को लेकर कस्बा के गोंडा मार्ग स्थित प्राचीन पथवारी मंदिर पर तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। कोविड-19 को लेकर मंदिरों के लिए सरकार द्वारा कोई गाइडलाइन जारी न करने पर मंदिर कमेटी असमंजस में है। यहाँ प्रत्येक नवरात्र पर भक्तों का सैलाब उमड़ता है। सुबह दर्शन से लेकर रात्रि शयन आरती तक भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। मेला का आयोजन भी किया जाता है। हालांकि मंदिर कमेटी ने कोरोना के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए स्वयं ही पारंपरिक मेले को इस बार स्थगित कर दिया है। व्यवस्थापक सुमित अग्रवाल ने बताया कि मंदिर में जलाभिषेक व दर्शन करने के लिए मास्क की अनिवार्यता की गई है। सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई है। शारीरिक दूरी का पालन कराने के लिए मंदिर में गोले बनवाए गए हैं। भवन में सीमित भक्तों को ही प्रवेश दिया जाएगा। देवी जागरण व संकीर्तन भी नहीं होगा।
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