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    National Tuberculosis Elimination Program : अब टीबी के समूल नाश के लिए रोगी के परिवार का होगा प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट

    By Anil KushwahaEdited By:
    Updated: Mon, 13 Jun 2022 01:45 PM (IST)

    राष्‍ट्रीय क्षय रोग उन्‍मूलन कार्यक्रम में अब समाजसेवी संस्‍थाओं की मदद भी ली जाएगी ताकि टीबी का समूल नाश किया जा सके। सरकार का मानना है कि टीबी रोगियों के साथ उनके संपर्क में आए स्‍वजन व अन्‍य लोगों की स्‍क्रीनिंग व दवा जरूरी है।

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    टीबी के समूल नाश के लिए वर्षों से अभियान चल रहा, लेकिन रोगियों की संख्या में कमी नहीं हो रही।

    अलीगढ़, जागरण संवाददाता। टीबी के समूल नाश के लिए कई वर्षों से अभियान चल रहा है, लेकिन रोगियों की संख्या में कमी नहीं हो रही। अब टीबी के प्रसार को रोकने के लिए सरकार ने टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी (टीपीटी) कार्यक्रम शुरू किया है। इसके अंतर्गत अब टीबी रोगी ही नहीं, उसके स्वजन व निरंतर संपर्क में आए अन्य रोगियों को भी संक्रमण से बचाव के लिए छह माह की दवा का कोर्स कराया जाएगा। संदिग्ध रोगियों की जांच भी कराई जाएगी।

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    राष्‍ट्रीय क्षय रोग उन्‍मूलन के लिए समाजसेवी संस्‍थाओं का भी सहयोग

    जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अनुपम भास्कर के अनुसार राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विभाग के साथ समाजसेवी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। सरकार का मानना है कि टीबी रोगियों के साथ उनके संपर्क में आए स्वजन व अन्य लोगों की स्क्रीनिंग व दवा भी जरूरी है। इसलिए टीपीटी कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें टीबी रोगी के संपर्कियों को भी रोग की प्रतिरोधी दवा आयु के हिसाब से दी जाएगी। दवा शुरू होने के बाद न तो रोगी के परिवार का कोई सदस्य संक्रमित होगा और न वे किसी अन्य संक्रमित कर सकेंगे। रोग का प्रसार थम जाएगा।

    एक रोगी 15 व्यक्तियों को बैक्टीरिया

    जिला कार्यक्रम समन्वयक सतेंद्र कुमार का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति को फेफड़े की टीबी है तो वह कम से कम 15 व्यक्तियों को टीबी फैलाता है। हां, उपचार शुरू होने जाने के 10-15 दिनों के बाद उससे किसी को खतरा नहीं होता। लेकिन, उसके परिवार के सदस्य, जो पहले ही बैक्टीरिया की चपेट में आ चुके होते हैं, उनकी जांच और उपचार नहीं हो पाता। टीपीटी कार्यक्रम के अंतर्गत उन्हीं लोगों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा। टीपीटी कार्यक्रम को अपनाकर ही क्षय रोग को समाप्त किया जा सकता है।