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    जंगल की माटी से ऐसे तैयार होती है खाद, जिससे मिलती है कम लागत में अच्छी पैदावार

    By Aqib KhanEdited By:
    Updated: Mon, 18 Jul 2022 06:34 PM (IST)

    रासायनिक खाद के भरोसे उत्पादन बढ़ाने के प्रयास में लगे किसान यह भी जान लें कि भूमि में जीवांश कार्बन पैदावार तय करते हैं। फसलों की गुणवत्ता और पोषण इन ...और पढ़ें

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    जंगल की माटी से ऐसे तैयार होती है खाद, कम लागत मिलती है अच्छी पैदावार। फोटो : जागरण

    लोकेश शर्मा, अलीगढ़: रासायनिक खाद के भरोसे उत्पादन बढ़ाने के प्रयास में लगे किसान यह भी जान लें कि भूमि में जीवांश कार्बन पैदावार तय करते हैं। फसलों की गुणवत्ता और पोषण इन्हीं पर निर्भर है। बिना किसी देखरेख के जंगलों के हरे-भरे होने का कारण जीवांश कार्बन ही हैं। जंगल की मिट्टी में ये भरपूर होते हैं।

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    इसके साक्ष्य कृषि फार्म में हुए शोध ने दिए हैं। 43 जंगलों की मिट्टी से तैयार खाद का उपयोग कर कम लागत में गेहूं की अच्छी पैदावार की। रासायनिक खाद से लागत अधिक आई और पैदावार कम हुई। कृषि वैज्ञानिक इस शोध के परिणामों को साझा कर किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। रासायनिक खाद से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट होने का नुकसान भी समझा रहे हैं।

    रासायनिक खाद से लगाव कम कर किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने का प्रयास सरकार भी कर रही है। इसके लिए समय-समय पर शोध कार्य होते हैं। जिनके परिणाम किसानों से साझा किए जाते हैं।

    क्वार्सी फार्म स्थित शोध प्रक्षेत्र में गेहूं पर शोध हुआ था। एक हेक्टेयर में जंगल की मिट्टी से तैयार खाद का उपयोग हुआ और एक हेक्टेयर में फास्फेट, पोटास, जिंक जैसे रासायनिक खाद लगाए गए। जीवांश कार्बन युक्त खाद से 42 कुंतल पैदावार हुई और खर्चा 1200 रुपये आया। रसायनों से 40 कुंतल गेहूं हुआ और खर्चा 6000 रुपये आया।

    इसी खाद से गांव सहबाजपुर में ओमवीर सिंह, मलिकपुरा में प्रमोद वर्मा, राम प्रकाश यादव, गांव देहौली में प्रेमसिंह आदि ने फसलें की थीं। भवीगढ़ के किसान योगराज बताते हैं कि लंबे समय से वह प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। फार्म पर ही खाद तैयार कराते हैं। 20 किलो खाद एक एकड़ भूमि के लिए पर्याप्त है। खेत में खाद बिखेर कर जोताई की जाती है, इसके बाद बोआई होती है। जिन खेतों में रोगग्रस्त फसलें होती हैं, उनमें बोआई से 20 दिन पहले खाद लगाने से फसल में रोग नहीं लगता।

    ऐसे बनती है खाद

    200 लीटर के ड्रम में 20 किलो जंगल की मिट्टी डालकर 100 लीटर पानी भर दें। 15 दिन के अंतराल में तीन किलो आटा, बेसन, चीनी व डेढ़ किलो खली मिलाकर घोल को लकड़ी से चलाएं। छह माह में जीवांश कार्बन की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी। गोबर में इस घोल को मिलाकर खाद तैयार होती है।

    नष्ट हो रहे जीवांश कार्बन

    भूमि को उपजाऊ बनाए रखने में कम से कम 0.51 प्रतिशत जीवांश कार्बन की आवश्यकता होती है। यहां मिट्टी में अनुमानित 0.31 प्रतिशत जीवांश कार्बन हैं। वर्गों की बात करें तो मृदा परीक्षण की रिपोर्ट के अनुसार 0.21 (अति न्यूनतम) प्रतिशत जीवांश कार्बन वाली 13 प्रतिशत भूमि है। 0.21 से 0.50 प्रतिशत जीवांश कार्बन वाली 80 प्रतिशत भूमि है। छह प्रतिशत भूमि ही 0.51 जीवांश कार्बन वाली बची है।

    इनका कहना है

    जंगल की मिट्टी में जीवांश कार्बन प्रर्याप्त मात्रा में होते हैं। रसायनों के अत्याधिक प्रयोग से कृषि भूमि में ये नष्ट हो रहे हैं। जीवांश कार्बन की संख्या बढ़ाई जाए तो न सिर्फ भूमि की उर्वरता में सुधार होगा, बल्कि फसलें रोग रहित होंगी। 43 जंगलों की मिट्टी लाकर प्रयोग किया गया था, जो सफल रहा। -डा. वीके सचान, उप कृषि निदेशक (शोध)