देखो, कौआ तुम्हारा कान ले गया किस्से जैसा है अलीगढ़ के शाहजमाल का मामला
किसी ने एक आदमी से कहा देखो कौआ तुम्हारा कान ले गया। उस आदमी ने कान तो देखा नहीं और पहले शख्स की बात मानकर कौआ के पीछे दौड़ पड़ा। ठीक ऐसा ही कुछ शाहजमाल में नजर आया। उस रात क्या हुआ था ये जांच का विषय है।
अलीगढ़, जेएनएन। किसी ने एक आदमी से कहा, देखो कौआ तुम्हारा कान ले गया। उस आदमी ने कान तो देखा नहीं और पहले शख्स की बात मानकर कौआ के पीछे दौड़ पड़ा। ठीक ऐसा ही कुछ शाहजमाल में नजर आया। उस रात क्या हुआ था, ये जांच का विषय है। लेकिन, कुछ ऐसा जरूर हुआ, जिससे लोग भड़के। भड़कना जायज भी था, चूंकि भावनाएं आहत हुई थीं। पुलिस को निष्पक्षता दिखाकर भावनाओं की कद्र करनी होगी, लेकिन जमातियों को बुरी तरह पीटने, खून-खच्चर होने जैसी अनर्गल बातें किसने फैलाईं? इस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। तनाव इतना बढ़ा कि पूरे जिले का फोर्स बुलाना पड़ा। ऐसे में संकट के दौर में लंबा समय बिताने अनुभवी इंस्पेक्टर की भूमिका अहम रही। उनके आते ही लोग ऐसे शोर करने लगे कि जैसे कोई अपना आ गया। कुछ लोगों ने ये तक कहा... कि आप कहां चले गए हो। आप होते तो कुछ न होता...।
आदेशों से हमें क्या...
कोरोना काल ने खूब संकट दिखाया। धीरे-धीरे चीजें पटरी पर आने लगी हैं। आदेशों व नियमों की बात करें तो अभी भी लोग इससे घिरे हुए हैं, लेकिन कुछ जगहों पर आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यूं तो जिले में निजी बसों के चलने पर प्रतिबंध है, लेकिन गांधीपार्क बस स्टैंड से निजी बसों का संचालन हो रहा है। जिले से बाहर भी ये बसें दौड़ लगाती हैं। रंगरूप में ये बसें सरकारी जैसी ही दिखती हैं, जिससे किसी का ध्यान भी नहीं जाता। अब आदेशों का उल्लंघन हो रहा है तो कोई न कोई वजह तो होगी। एक सज्जन कहने लगे कि पुलिस से लेकर एजेंट तक वसूली कर रहे हैं, तभी तो बस चल रही हैं। नहीं तो भला किसकी हिम्मत कि अपनी गर्दन फंसाए? बहरहाल, उम्मीद है कि आला अधिकारियों की इस पर नजर पड़े, ताकि आदेश का पालन न करने वालों को सबक मिले।
नहीं पूरे हो रहे सरेंडर के अरमां
यूं तो आएदिन हमले व बड़े विवाद होते रहते हैं, जिनमें पुलिस का रवैया ढीला रहता है। उद्योगपति पर हमले के बाद इतनी कड़ाई पहली दफा देखने को मिल रही है। आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए खाकी ने तगड़ा जाल बिछाया है। इससे आरोपितों के सरेंडर करने के अरमां पूरे नहीं हो पा रहे हैैं। एक आरोपित का हथियार तक निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यहां तक कि क्वार्सी थाने में एक और मुकदमा दर्ज होना होने का शोर है। खैर, इसी बहाने सही, पुलिस एक्शन में आई। अब उन लोगों की भी मानो शामत आ गई है, जो बाहुबलियों के आगे-पीछे घूमकर रौब जमाते हैं। अवैध हथियार लहराकर लोगों को धमकाना इनका पेशा है। लेकिन, पुलिस के कड़े शिकंजे के बाद ये लोग भी छिपे-छिपे घूम रहे हैं। रेंज व जिले के मुखिया ने स्पष्ट कह दिया है कि ऐसे लोगों पर रहम-ओ-करम नहीं किया जाएगा।
आधे रुपये लो, बात खत्म करो
जवां के मजदूर से दो लाख रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ। ये सिर्फ रुपये नहीं, उसके जीवनभर की कमाई थी। गांव के ही युवक ने धोखे से चेक पर दस्तखत करा लिए, जिसके जरिये खाते से रकम निकाली। मजदूर बैंक पहुंचा तो इसकी जानकारी हुई। गांव का युवक दबंग भी है। फिर भी मजदूर ने परवाह किए बिना पुलिस को कहानी बताई। दो लोगों के नाम लिए, लेकिन जांच कर रहे दारोगा ने उसे ही उलझा दिया है। प्रस्ताव रखा कि दो लाख रुपये लो और बात खत्म करो। शेष एक लाख रुपये क्यों नहीं मिलेंगे, इसका जवाब नहीं दिया। मजदूर ने दारोगा से बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग कर ली, जो वायरल हो रही है। सवाल है कि अगर नामजदों ने धोखाधड़ी नहीं की है, तो एक लाख का ऑफर क्यों दिया? अगर धोखाधड़ी है तो पूरी रकम दिलाने में क्या हर्ज? दाल में कुछ काला है। अफसर इसका संज्ञान लें।