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    कर्तव्यों के निर्वाहन से संवरता है जीवन Hathras news

    By Anil KushwahaEdited By:
    Updated: Wed, 04 Nov 2020 05:22 PM (IST)

    मानव को यथाशक्ति और आवश्यकतानुसार कार्य करना ही उसका कत्र्तव्य पालन कहलाता है । मानव जीवन कत्र्तव्यों का भण्डार है उसके कत्र्तव्य उसकी अवस्थानुसार छोटे और बड़े होते हैं । इनको पूर्ण करने से जीवन में उल्लास आत्मिक शान्ति और यश मिलता है ।

    नीरू गुप्ता, प्रधानाचार्य, एमएलडीवी पब्लिक इंटर कॉलेज,हाथरस।

    हाथरस, जेएनएन : मानव को यथाशक्ति और आवश्यकतानुसार कार्य करना ही उसका कर्तव्‍य पालन कहलाता है। मानव जीवन कत्र्तव्यों का भण्डार है उसके  कर्तव्‍य उसकी अवस्थानुसार छोटे और बड़े होते हैं । इनको पूर्ण करने से जीवन में उल्लास, आत्मिक शान्ति और यश मिलता है । विद्यार्थी जीवन में गुरू की आज्ञा ही उसका कर्तव्‍य बन जाता है । युवावस्था में उसके कत्र्तव्य परिजनों, पड़ोसियों के अतिरिक्त राष्ट्र के प्रति भी हो जाते हैं । उसके कन्धों पर समाज और राष्ट्र की उन्नति का भार आ पड़ता है।

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    कर्तव्‍य को नहीं भूलना चाहिए 

    जो लोग अपने कर्तव्यों का निर्वाहन सही तरह से नहीं करते। उनके पास जीवनभर दुखी होने के अलावा कुछ नहीं होता। इसलिए इंसान को हमेशा अपने कर्तव्य कभी नहीं भूलने चाहिए। क्योंकि कर्तव्यों के जरिए ही वो अपनी पहचान समाज में बना सकता है। जिस प्रकार प्रत्येक शासक का कत्र्तव्य अपने शासितों की रक्षा करना है, उसी प्रकार उनका कत्र्तव्य भी उसकी मंगल कामना करना है। शिक्षक का कत्र्तव्य अपने छात्रों के हृदय पर से अज्ञानता का आवरण हटाकर उन्हें आदर्शवादी बनाना है। यही सब मानव के कत्र्तव्य है। इनको पूर्ण करने के लिए उसे अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। उसको प्राकृतिक शक्तियाँ अपने कत्र्तव्य का पालन करती हुई पूर्ण सहयोगी देती है मनुष्य अपने कर्मो से महान बनता है। कर्महीन मनुष्य जीवन में कुछ नहीं कर पाता। कर्तव्य परायणता मनुष्य को महान बनाती है। मर्यादा पुरसोत्तम राम ने अपने कर्तव्य को कभी नहीं भूला। अपने कर्तव्य और आज्ञा के पालन के लिए वे जंगल में दर-दर भटकते रहे। ङ्क्षकतु अपने पिता के वचनों का सम्मान किया। राम जैसा चरित्र दुनिया में दूसरा देखने में नहीं आता। राम का त्याग और बलिदान सबसे श्रेष्ठ है। यह उद्गार मुनिश्री अजित सागर जी महाराज ने दिगंबर जैन धर्मशाला में अपने मंगल प्रवचनों में व्यक्त किए। इस अवसर पर शाकाहार उपासना परिसंघ के सदस्यों के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी रही। कत्र्तव्य पालन ही एक ऐसी वस्तु है जिसके द्वारा हम अवर्णनीय आनन्द को प्राप्त कर सकते हैं। इसके आनन्द से मस्त मानव मातृभूमि की रक्षा हेतु हर्षित मन से फाँसी के तख्ते पर लटक जाता है। उसकी अमरगाथा पुष्प - पराग के समान सर्वत्र फैल जाती है । अत: प्रत्येक मानव को कत्र्तव्यों का अवश्य पालन करना चाहिए।  

    नीरू गुप्ता,प्रधानाचार्य, एमएलडीवी पब्लिक इंटर कॉलेज,हाथरस। 

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