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    खसरा-रूबेला टीकाकरण में हाथरस ने लखनऊ व कानपुर को पछाड़ा

    By Mukesh ChaturvediEdited By:
    Updated: Sat, 12 Jan 2019 04:34 PM (IST)

    बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाव को लेकर चलाए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रमों में अलीगढ़ जिला पिछड़ रहा है। ...और पढ़ें

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    खसरा-रूबेला टीकाकरण में हाथरस ने लखनऊ व कानपुर को पछाड़ा

     अलीगढ़ (अलीगढ़)।  बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाव को लेकर चलाए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रमों में अलीगढ़ जिला पिछड़ रहा है। बात मंडल की करें तो खसरा रूबेला टीकाकरण में हाथरस ने मंडल में टॉप किया है। सूबे में इसका 11वां स्थान है, जो कि कानपुर और लखनऊ से बेहतर है। इस मायने में अलीगढ़ 50वें, एटा 63वें व कासगंज 71वें पायदान पर है। मगर, नियमित टीकाकरण में हाथरस, मंडल में फिसड्डी है और एटा टॉप पर।

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    खसरा-रूबेला अभियान 

    26 नवंबर-18 से 9 माह से 15 साल तक के बच्चों को खसरा-रूबेला (एमआर) वैक्सीन दी जा रही है। इसमें हाथरस ने 11वां स्थान पाकर मथुरा (15), मेरठ (17), बरेली (22), गौतमबुद्धनगर (25), बुलंदशहर (29), गाजियाबाद (38), सहारनपुर (42), अलीगढ़ (50), आगरा (53), वाराणसी (55), लखनऊ (59), कानपुर (65) जैसे बड़े शहरों को पीछे छोड़ दिया है। टॉप पर देवरिया है तो गोरखपुर दूसरे स्थान पर।

    नियमित टीकाकरण

    जिला स्तरीय अस्पतालों से लेकर सीएचसी, पीएचसी व सब सेंटरों गर्भवती को दो टिटनेस के टीके, शिशु के जन्म पर बीसीजी व हिपेटाइटिस बी, डेढ़ माह, ढाई माह व साढ़े तीन माह पर पेंटावैंलेंट (डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, हेपेटाइटिस बी और हिब) टीके व रोटा वायरस से बचाव के ड्राप्स दिए जाते हैैं। पोलियो वैक्सीन भी दी जाती है। पांच साल तक विटामिन ए की खुराक भी दी जाती है। इसमें 90 फीसद लक्ष्य है। अलीगढ़ मंडल में हाथरस (लक्ष्य का 78 फीसद) बहुत पीछे है। खासकर सहपऊ, मुरसान व शहरी क्षेत्रमें टीकाकरण बहुत कम हुआ है। दिसंबर तक एटा में 87 फीसद, कासगंज में 85 फीसद व अलीगढ़ में 82 फीसद टीकाकरण हुआ है।  जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. दुर्गेश कुमार का कहना है कि टप्पल व बिजौली समेत कई ब्लाक में एएनएम के पद रिक्त हैं। इससे टीकाकरण प्रभावित हो रहा है। जल्द लक्ष्य पा लेंगे।